नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद साकेत गोखले को उस न्यायिक आदेशों का ‘जानबूझकर’ पालन नहीं करने के लिए ‘सिविल हिरासत’ में रखने की धमकी दी, जिसमें उन्हें मानहानि के एक मामले में पूर्व राजनयिक लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी से माफी मांगने का निर्देश दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि गोखले ‘‘अदालत और उसकी विचार प्रक्रिया का मजाक उड़ा रहे हैं।’’ न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘मैं आपको नोटिस दे रहा हूं। यदि आप माफीनामा प्रकाशित नहीं करते हैं, तो हम आपको ‘सिविल हिरासत’ में रखेंगे।’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मेरे अनुसार, उन्हें जेल जाना होगा।’’ ‘सिविल हिरासत’ से दंडित व्यक्तियों को जेल में रखा जाता है, लेकिन विचाराधीन कैदियों से अलग।
उच्च न्यायालय ने एक जुलाई, 2024 को गोखले को पुरी के खिलाफ सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मंच पर कोई और सामग्री प्रकाशित करने से रोक दिया और उन्हें उनसे माफी मांगने और 50 लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया।
वर्ष 2024 के फैसले का पालन नहीं करने पर पुरी ने गोखले के खिलाफ मानहानि याचिका दायर की।
उच्च न्यायालय की समन्वय पीठ ने नौ मई को तृणमूल कांग्रेस के नेता को निर्देश दिया कि वह अपने उस ‘एक्स’ हैंडल से माफीनामा प्रकाशित करें, जिसका इस्तेमाल उन्होंने आपत्तिजनक पोस्ट डालने के लिए किया था। पीठ ने उनसे दो सप्ताह के भीतर एक प्रमुख समाचार दैनिक में भी यह माफीनामा प्रकाशित कराने के लिए कहा।
न्यायमूर्ति अरोड़ा को बुधवार को बताया गया कि दो सप्ताह की विस्तारित समयसीमा 23 मई को समाप्त हो गई थी और उन्होंने अभी तक माफीनामा प्रकाशित नहीं किया है। गोखले के वकील ने कहा कि उन्होंने नौ मई के आदेश का पालन नहीं किया।
इसके बाद अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘इस अदालत को लगभग ऐसा लगता है कि गोखले अदालत और उसकी विचार प्रक्रिया का मजाक उड़ा रहे हैं।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘एक जुलाई, 2024 के फैसले और फैसले का पालन करने के लिए समन्वय पीठ द्वारा दी गई विस्तारित अवधि का जानबूझकर पालन न करने के लिए, ‘जजमेंट डिबेटर’ (गोखले) को नोटिस दिया जाता है कि उन्हें नागरिक प्रक्रिया संहिता के आदेश 21… के अनुरूप सिद्धांतों पर ‘सिविल हिरासत’ में क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए।’’
भाषा
संतोष सुरेश
सुरेश