नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) दूरसंचार विभाग ने 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1,800 मेगाहर्ट्ज, 2,100 मेगाहर्ट्ज और 2,300 मेगाहर्ट्ज सहित आठ मौजूदा बैंड में मोबाइल स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए आरक्षित मूल्य, ब्लॉक आकार, मात्रा एवं अन्य तौर-तरीकों पर भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) से सुझाव मांगे हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इनके अलावा 2,500 मेगाहर्ट्ज, 3,300 मेगाहर्ट्ज और 2,6 गीगाहर्ट्ज बैंड के बारे में दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने दूरसंचार नियामक ट्राई से सुझाव मांगे हैं।
दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार नियामक से 600 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए भी सुझाव देने को कहा है।
ट्राई को हाल ही में पहचाने गए 6,425-6,725 मेगाहर्ट्ज और 7,025-7,125 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए नीलामी की संभावना पर विचार करने को भी कहा गया है ताकि नीलामी के समय, बैंड योजना, आरक्षित मूल्य एवं नियम व शर्तों को लेकर सुझाव दिए जा सकें।
इससे पहले 2024 में आयोजित नीलामी में, सुनील भारती मित्तल की एयरटेल मोबाइल फोन वॉइस एवं डेटा सिग्नल को संचारित करने के लिए उपयोग की जाने वाली रेडियो तरंगों के लिए सबसे बड़ी बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी। जून में दो दिन तक चली बोली में बेचे गए 11,341 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम में से करीब 60 प्रतिशत इस कंपनी ने हासिल किए थे।
भारती एयरटेल ने बोली लगाकर 6,856.76 करोड़ रुपये मूल्य के स्पेक्ट्रम, जबकि प्रतिद्वंद्वी मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने 973.62 करोड़ रुपये मूल्य के स्पेक्ट्रम हासिल किए थे।
संकटग्रस्त वोडाफोन आइडिया ने 3,510.4 करोड़ रुपये मूल्य का स्पेक्ट्रम हासिल किया था।
वर्ष 2024 की नीलामी में कुल 141.4 मेगाहर्ट्ज रेडियो तरंगें 11,340.78 करोड़ रुपये में बेची गई थीं।
सरकार ने 800 मेगाहर्ट्ज से 26 गीगाहर्ट्ज के बीच कुल 10 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की पेशकश की थी, जिसकी कीमत आधार या नीलामी की शुरुआती कीमत पर 96,238 करोड़ रुपये थी। हालांकि, पिछले साल आयोजित सात दौर की नीलामी में प्रस्तावित स्पेक्ट्रम की केवल एक छोटी राशि ही बिक पाई थी।
भाषा निहारिका नरेश
नरेश