(फाइल फोटो के साथ)
मुंबई, 29 मई (भाषा) वित्त वर्ष 2024-25 में बैंक नोट की छपाई पर होने वाला व्यय सालाना आधार पर करीब 25 प्रतिशत बढ़कर 6,372.8 करोड़ रुपये हो गया।
वित्त वर्ष 2023-24 में यह 5,101.4 करोड़ रुपये था।
भारतीय रिजर्व बैंक की बृहस्पतिवार को जारी 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान प्रचलन में मौजूद बैंक नोट का मूल्य एवं मात्रा क्रमशः छह प्रतिशत और 5.6 प्रतिशत बढ़ी।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘ 2024-25 के दौरान 500 रुपये के बैंक नोट की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत रही, जो मूल्य के हिसाब से मामूली रूप से घटी है।’’
इसमें कहा गया है कि मात्रा की दृष्टि से प्रचलन में मौजूद कुल बैंक नोट में 500 रुपये मूल्यवर्ग के नोट की हिस्सेदारी सबसे अधिक 40.9 प्रतिशत रही। इसके बाद 10 रुपये मूल्यवर्ग के नोट की हिस्सेदारी 16.4 प्रतिशत रही।
कम मूल्यवर्ग के बैंक नोट (10 रुपये, 20 रुपये और 50 रुपये) की प्रचलन में बने कुल बैंक नोट में हिस्सेदारी 31.7 प्रतिशत रही।
मई 2023 में 2000 रुपये के बैंक नोट को प्रचलन से वापस लेने की शुरुआत की गई थी, जो गत वित्त वर्ष में भी जारी रही। घोषणा के समय प्रचलन में रहे 3.56 लाख करोड़ रुपये में से 98.2 प्रतिशत 31 मार्च 2025 तक बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए।
रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 के दौरान प्रचलन में रहे सिक्कों के मूल्य और मात्रा में क्रमशः 9.6 प्रतिशत और 3.6 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। साथ ही वित्त वर्ष 2024-25 में प्रचलन में मौजूद ई-रुपी का मूल्य 334 प्रतिशत बढ़ा।
प्रचलन में मौजूद मुद्रा में बैंक नोट, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) और सिक्के शामिल हैं। वर्तमान में दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के मूल्यवर्ग के नोट प्रचलन में हैं।
रिजर्व बैंक अब दो रुपये, पांच रुपये और 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोट नहीं छाप रहा है।
सिक्कों की बात करें तो 50 पैसे और एक रुपये, दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये मूल्यवर्ग के सिक्के प्रचलन में मौजूद हैं।
जाली नोटों के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया कि 2024-25 के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में जब्त किए गए कुल जाली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन) में से 4.7 प्रतिशत रिजर्व बैंक में पकड़े गए।
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये और 2000 रुपये मूल्यवर्ग के जाली नोटों में कमी आई। वहीं 200 रुपये और 500 रुपये मूल्यवर्ग के जाली नोटों में पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 13.9 और 37.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
आरबीआई ने कहा कि वह बैंक नोट के लिए नई/उन्नत सुरक्षा विशेषताएं शुरू करने की प्रक्रिया को सक्रियतापूर्वक आगे बढ़ा रहा है। वह विदेशी स्रोतों पर निर्भरता कम करने के लिए पिछले कुछ वर्षों से बैंक नोट छापने के स्वदेशीकरण पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
इसमें कहा गया, ‘‘ लगातार प्रयासों से बैंक नोट छापने के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी प्राथमिक कच्चे माल, यानी बैंक नोट कागज, सभी प्रकार की स्याही (ऑफसेट, नंबरिंग, इंटैग्लियो और रंग बदलने वाली इंटैग्लियो स्याही) और अन्य सभी सुरक्षा संबंधी चीजें अब घरेलू स्तर पर खरीदी जा रही हैं।’’
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा