(फाइल फोटो के साथ)
मुंबई, 29 मई (भाषा) विदेशी मुद्रा लेनदेन में करीब 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी से वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बही-खाते का आकार बढ़कर 76.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसके दम पर ही केंद्रीय बैंक ने सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपये का बड़ा लाभांश दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को जारी अपनी 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि देश वित्त वर्ष 2025-26 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
इसमें कहा गया कि दीर्घकालीन भू-राजनीतिक तनाव और भू-आर्थिक विखंडन के बीच, मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी आंकड़ों और सक्रिय नीतिगत उपायों के समर्थन से 2024-25 में अर्थव्यवस्था ने जुझारू क्षमता दिखाई।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ वित्तीय क्षेत्र की मजबूती (जो बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता और अच्छी तरह से पूंजीकृत बैंकों में परिलक्षित होती है) ने आर्थिक गतिविधियों को और अधिक समर्थन दिया। कई वैश्विक चुनौतियों के बीच, भारतीय वित्तीय बाजारों ने जुझारू एवं व्यवस्थित गतिविधियों का प्रदर्शन किया।’’
इसने वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता, भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार विखंडन, आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान एवं जलवायु संबंधी चुनौतियों के कारण उत्पन्न अनिश्चितताओं को वृद्धि के दृष्टिकोण के लिए नकारात्मक जोखिम और मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के लिए सकारात्मक पहलू के रूप में चिह्नित किया।
रिजर्व बैंक ने कहा कि हालांकि, आपूर्ति-श्रृंखला पर दबाव में कमी, वैश्विक जिंस कीमतों में नरमी और सामान्य से बेहतर दक्षिण-पश्चिम मानसून से कृषि उत्पादन में वृद्धि जैसे कारक मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए अच्छे संकेत हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि शुल्क नीतियों में बदलाव के चलते वित्तीय बाजारों में कहीं-कहीं अस्थिरता का प्रभाव दिख सकता है और निर्यात को ‘‘ अंतर्मुखी नीतियों एवं शुल्क युद्ध’’ के कारण प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि भारत के व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर एवं बातचीत करने से इन प्रभावों को सीमित करने में मदद मिलेगी। साथ ही, सेवा निर्यात एवं प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाले धन (रेमिटेंस) से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि वित्त वर्ष (2025-26) में चालू खाते का घाटा (कैड) ‘‘ उल्लेखनीय रूप से प्रबंधन के दायरे में’’ हो।
केंद्रीय बैंक ने लगातार दो समीक्षाओं में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कटौती की है।
वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि अब 12 महीने की अवधि में कुल मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप बने रहने को लेकर ‘‘ अधिक भरोसा ’’ है।
इसमें सुझाव दिया गया कि ब्याज दर जोखिम की गतिशील प्रकृति को ध्यान में रखते हुए बैंकों को व्यापार और बैंकिंग दोनों प्रकार के बही जोखिमों से निपटने की आवश्यकता है, खासकर शुद्ध ब्याज ‘मार्जिन’ में कमी के मद्देनजर।
वित्त वर्ष 2024-25 के बही-खाते पर आरबीआई ने कहा कि इसका आकार सालाना आधार पर 8.20 प्रतिशत बढ़कर 76.25 लाख करोड़ रुपये हो गया। इस दौरान आय में 22.77 प्रतिशत और व्यय में 7.76 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘ वर्ष का अंत 2,68,590.07 करोड़ रुपये के समग्र अधिशेष के साथ हुआ जबकि पिछले वर्ष यह 2,10,873.99 करोड़ रुपये था, जिससे इसमें 27.37 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। ’’
इसमें कहा गया कि बही-खाते का आकार 5,77,718.72 करोड़ रुपये या 8.20 प्रतिशत बढ़कर 31 मार्च, 2025 तक 76,25,421.93 करोड़ रुपये हो गया। यह 31 मार्च, 2024 तक 70,47,703.21 करोड़ रुपये था।
परिसंपत्ति पक्ष में वृद्धि..सोने, घरेलू निवेश एवं विदेशी निवेश में क्रमशः 52.09 प्रतिशत, 14.32 प्रतिशत और 1.70 प्रतिशत की वृद्धि के कारण हुई।
विदेशी मुद्रा लेनदेन से विनिमय लाभ 31 मार्च, 2025 तक करीब 33 प्रतिशत बढ़कर 1.11 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो एक वर्ष पहले 83,615.86 करोड़ रुपये था।
वित्त वर्ष 2024-25 में बैंक नोट की छपाई पर होने वाला व्यय सालाना आधार पर करीब 25 प्रतिशत बढ़कर 6,372.8 करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 5,101.4 करोड़ रुपये था।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान प्रचलन में मौजूद बैंक नोट का मूल्य एवं मात्रा क्रमशः छह प्रतिशत और 5.6 प्रतिशत बढ़ी।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘ 2024-25 के दौरान 500 रुपये के बैंक नोट की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत रही, जो मूल्य के हिसाब से मामूली रूप से घटी है।’’
इसमें कहा गया है कि मात्रा की दृष्टि से प्रचलन में मौजूद कुल बैंक नोट में 500 रुपये मूल्यवर्ग के नोट की हिस्सेदारी सबसे अधिक 40.9 प्रतिशत रही। इसके बाद 10 रुपये मूल्यवर्ग के नोट की हिस्सेदारी 16.4 प्रतिशत रही।
कम मूल्यवर्ग के बैंक नोट (10 रुपये, 20 रुपये और 50 रुपये) की चलन वाले कुल बैंक नोट में हिस्सेदारी 31.7 प्रतिशत रही।
मई, 2023 में 2000 रुपये के बैंक नोट को चलन से वापस लेने की शुरुआत की गई थी, जो गत वित्त वर्ष में भी जारी रही। घोषणा के समय चलन में रहे 3.56 लाख करोड़ रुपये में से 98.2 प्रतिशत 31 मार्च, 2025 तक बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए।
रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 के दौरान चलन में रहे सिक्कों के मूल्य और मात्रा में क्रमशः 9.6 प्रतिशत और 3.6 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। साथ ही वित्त वर्ष 2024-25 में चलन में मौजूद ई-रुपी का मूल्य 334 प्रतिशत बढ़ा।
चलन में मौजूद मुद्रा में बैंक नोट, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) और सिक्के शामिल हैं। वर्तमान में दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये के मूल्यवर्ग के नोट चलन में हैं। हालांकि, 2000 रुपये का नोट अब भी वैध है।
रिजर्व बैंक अब दो रुपये, पांच रुपये और 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोट नहीं छाप रहा है।
सिक्कों की बात करें तो 50 पैसे और एक रुपये, दो रुपये, पांच रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये मूल्यवर्ग के सिक्के चलन में मौजूद हैं।
जाली नोटों के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया कि 2024-25 के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में जब्त किए गए कुल जाली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन) में से 4.7 प्रतिशत रिजर्व बैंक में पकड़े गए।
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये और 2000 रुपये मूल्यवर्ग के जाली नोटों में कमी आई। वहीं 200 रुपये और 500 रुपये मूल्यवर्ग के जाली नोटों में पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 13.9 और 37.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
भाषा निहारिका अजय
अजय