परभणी, 29 मई (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि महिलाओं के लिए सरकार की प्रमुख योजना ‘लाडकी बहिन’ के लिए किसी अन्य विभाग से कोई धनराशि नहीं ली गई है और जो लोग बजट को नहीं समझते, वे निराधार दावे कर रहे हैं।
फडणवीस ने कहा कि इस योजना के लिए धनराशि जनजातीय मामलों और सामाजिक न्याय विभागों के माध्यम से वितरित की गई और यह बजटीय नियमों के अनुसार था। इस योजना के तहत पात्र गरीब महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक मिलते हैं।
यहां मध्य महाराष्ट्र में पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि बजटीय नियमों के अनुसार अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए धन आरक्षित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकतम धन व्यक्तिगत लाभ योजनाओं के लिए निर्धारित किया जाना चाहिए और कुछ धन बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अलग रखा जाना चाहिए।
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि लाडकी बहिन योजना के लिए अन्य विभागों से धन लिया गया है।
फडणवीस ने कहा, ‘‘यह आरोप गलत हैं। केवल वे लोग ही ऐसा आरोप लगा सकते हैं जिन्हें बजट की समझ नहीं है। नियम कहते हैं कि धन एससी/एसटी के लिए आरक्षित होना चाहिए। अधिकतम धन व्यक्तिगत लाभ योजनाओं और कुछ बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आरक्षित होना चाहिए।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘लाडकी बहिन योजना लाभार्थियों को व्यक्तिगत लाभ देने की श्रेणी में आती है। इसलिए, यदि आप इस योजना के लिए पैसा देते हैं, तो बजटीय नियमों के अनुसार, इसे जनजातीय मामलों के विभाग और सामाजिक न्याय विभाग के तहत दिखाना होगा।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार पहले ही इस मामले में स्पष्टीकरण दे चुके हैं, जो वित्त विभाग भी संभालते हैं।
फडणवीस ने कहा कि जनजातीय मामलों और सामाजिक न्याय विभागों के बजट में 2025-26 में लगभग 1.45 गुना वृद्धि की गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह (लाडकी बहिन के कोष को अन्य विभागों के माध्यम से वितरित किया जाना) एक प्रकार का लेखाविधि है। किसी भी पैसे को ‘डायवर्ट’ नहीं किया गया है। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है।’’
राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग इस योजना को चलाता है। योजना को पिछले साल नवंबर में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत का प्रमुख कारण माना जाता है।
इस योजना के तहत, 21-65 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाएं, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है, मासिक भुगतान के लिए पात्र हैं।
इस महीने की शुरुआत में, महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने अप्रसन्न्ता जताते हुए अजित पवार के नेतृत्व वाले वित्त विभाग पर ‘‘मनमानी’’ करने का आरोप लगाया था और कहा था कि उनकी (शिरसाट) जानकारी के बिना उनके विभाग के धन का ‘‘अवैध’’ तरीके से दूसरे मद में उपयोग किया गया है।
मंत्री ने कहा कि सामाजिक न्याय विभाग को आवंटित धन का दूसरे मद में उपयोग करने से बेहतर है कि सरकार को इसे (विभाग को) बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने स्वीकार किया था कि पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले शुरू की गई महिला-केंद्रित कल्याण योजना के कारण राज्य को वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
भाषा अमित मनीषा
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