नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) भारत को खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी में घरेलू क्षमताओं का निर्माण करना चाहिए ताकि आयात पर अपनी भारी निर्भरता को कम किया जा सके। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि देश खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में वैश्विक अगुवा के रूप में उभरने के लिए अपनी कृषि ताकत का लाभ उठा रहा है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव देवेश देवल ने उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित खाद्य प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, ‘‘उत्पादन और निर्यात में हमारी सफलता के बावजूद, हम आयातित खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी पर बहुत अधिक निर्भर हैं। यह महत्वपूर्ण है कि उद्योग और सरकार घरेलू क्षमताओं का निर्माण करने और गुणवत्ता और पैमाने में सुधार करने के लिए मिलकर काम करें।’’
देवल ने जोर देकर कहा कि भारत की कृषि क्षमता को अब उन्नत प्रौद्योगिकी एकीकरण के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण में वैश्विक अगुवा के रूप में बदलना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अंशधारकों से जानकारियों का स्वागत करते हैं और ठोस, कार्रवाई योग्य कदमों की पहचान करने के लिए व्यापक परामर्श की सुविधा के लिए तैयार हैं। खाद्य प्रसंस्करण मूल्य श्रृंखला में हर कड़ी को मजबूत करने के लिए समय पर और मापनीय कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है।’’
सम्मेलन में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा अधिक समावेशी और कार्यान्वयन योग्य खाद्य विनियमनों के लिए सलाह एकत्र करने को एक समर्पित राष्ट्रीय अंशधारक परामर्श पोर्टल का शुभारंभ किया गया।
एफएसएसएआई की सलाहकार (विज्ञान एवं मानक एवं विनियमन) अलका राव ने इस बात पर जोर दिया कि खाद्य विनियमन और प्रौद्योगिकी को सहयोगात्मक रूप से विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने संरचित, सुलभ डेटाबेस बनाने और पूर्वाग्रह और डेटा अंतराल के बारे में उचित सावधानी के साथ प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से कृत्रिम मेधा के जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया।
एसोचैम के खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन परिषद के अध्यक्ष विवेक चंद्रा ने कहा कि खाद्य सुरक्षा का भविष्य केवल उत्पादन पर ही नहीं बल्कि इस बात पर भी निर्भर करता है कि खाद्य को कैसे संसाधित, संरक्षित, पैक और वितरित किया जाता है।
सम्मेलन में एसोचैम और पीडब्ल्यूसी की एक संयुक्त ज्ञान रिपोर्ट का अनावरण किया गया।
भाषा राजेश राजेश अजय
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