लखनऊ,29 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश में अब संस्कृत केवल शास्त्रों की भाषा नहीं बल्कि आम बोलचाल की भाषा के रूप में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
राज्य सरकार की ‘मिस्ड कॉल योजना’ ने संस्कृत संभाषण को जन-जन से जोड़ने का कार्य किया है और इस योजना के तहत 1.21 लाख से अधिक लोग पंजीकरण करवा चुके हैं, जबकि 53 हजार से ज्यादा लोगों ने प्रत्यक्ष रूप से प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
इस योजना के तहत प्रशिक्षण लेने वालों में महिलाओं की भागीदारी भी लगभग 50 प्रतिशत रही, जो यह दर्शाता है कि यह योजना समाज के हर वर्ग में लोकप्रिय हो रही है।
एक बयान के मुताबिक, सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से भी लोग इस अभियान से जुड़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सात फरवरी 2018 को उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के एक कार्यक्रम में घोषणा की थी कि राज्य के हर विद्यालय में छात्रों को सामान्य संस्कृत में बात-चीत करते हुए देखा जाना चाहिए।
सरकार की ‘मिस्ड कॉल योजना’ और विभिन्न नवाचारों ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर इच्छाशक्ति और नीति साथ हो, तो कोई भी भाषा पुनर्जीवित हो सकती है।
‘मिस्ड कॉल योजना’ के तहत 20 दिन तक संवाद और भाषाभ्यास कराया गया तथा इसके साथ ही 10वें दिन संस्कृत के महत्व पर आधारित प्रेरणादायक सत्र आयोजित किए गए।
अब तक कुल 523 सत्र कराए जा चुके हैं।
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि मुख्यमंत्री के उद्बोधन से प्रेरणा लेकर संस्कृत संभाषण को लेकर जो प्रयास किए गए उसके उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले हैं।
उन्होंने बताया कि संस्कृत के प्रति लोगों में जागरूकता आ रही है और बड़ी संख्या में लोग संस्कृत सीखना चाहते हैं।
मिश्र ने बताया, “हमें पूरी उम्मीद है कि आगामी कुछ वर्षों में लाखों लोग संस्कृत संभाषण का हिस्सा बनेंगे।”
भाषा जफर जितेंद्र
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