नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने देश के प्रमुख बाघ अभयारण्य क्षेत्रों में पर्यटकों के रात्रि विश्राम पर रोक लगाने का अनुरोध करने संबंधी याचिका पर बृहस्पतिवार को विचार करने से इनकार कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ इस दलील से सहमत नहीं हुई कि मुख्य बाघ अभयारण्य क्षेत्रों में पर्यटकों के रात में ठहरने से पारिस्थितिकी संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इससे स्थानीय लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।’’ उन्होंने बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों में पर्यटकों को रात भर ठहरने से रोकने से इनकार कर दिया।
शुक्रवार को शीर्ष अदालत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को देश में बाघों के संरक्षण से संबंधित मामलों पर सरकारी अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करने के बजाय निर्देश जारी करने की अनुमति देने संबंधी अभ्यावेदन पर विचार करेगी।
इससे पहले पीठ ने कहा था कि वह बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन के लिए पूरे देश में एक समान नीति चाहती है। उसने कहा था कि नीति में बाघ अभयारण्यों के अंदर वाहनों की आवाजाही के पहलू को भी शामिल किया जाना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश ने हाल ही में मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा उस घटना पर स्वतः संज्ञान लिए जाने का उल्लेख किया, जिसमें पर्यटकों को ले जा रहे सफारी वाहनों ने नए साल की पूर्व संध्या पर महाराष्ट्र के उमरेड-पौनी-करहांडला अभयारण्य में एक बाघिन और उसके शावकों की आवाजाही में बाधा डाली थी।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि नागपुर से मुझे एक खबर मिली। सौभाग्य से उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया है।
इस मामले में शीर्ष अदालत के लिए न्यायमित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के परमेश्वर ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई की सीबीआई द्वारा की गई जांच का हवाला दिया था।
भाषा शोभना माधव
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