मोरीगांव, 30 मई (भाषा) पति का बेसब्री से इंतजार कर रहीं असम की रीता खानम को अब अल्लाह पर ही भरोसा है, क्योंकि अपने पति खैरुल इस्लाम को आखिरी बार इस सप्ताह के शुरू में एक वीडियो में देखा था।
यह वीडियो कथित तौर पर असम के दक्षिण सलमारा मनकाचर जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर ‘नो मैन्स लैंड’ में रिकॉर्ड किया गया था। इस वीडियो ने खानम को व्याकुल कर दिया है।
मोरीगांव जिले के खंडपुखुरी स्थित अपने घर से फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए खानम ने कहा कि उनका परिवार अधिकारियों के संपर्क में है। महिला ने दावा किया कि उन्होंने पति खैरुल इस्लाम की भारतीय राष्ट्रीयता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा कर दिए हैं।
उन्हें उम्मीद है कि ‘‘न्याय की जीत होगी।’’
इस्लाम उन नौ लोगों में शामिल हैं, जिन्हें 24 मई को मोरीगांव पुलिस ने विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) द्वारा घोषित अवैध आप्रवासी के खिलाफ कार्रवाई के तहत गिरफ्तार किया था। ये लोग निर्वासन से बच रहे थे।
एफटी ने 2016 में इस्लाम को उसके तीन भाई-बहनों के साथ विदेशी घोषित किया गया था और उसने इस फैसले को गुवाहाटी उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने एफटी के फैसले को बरकरार रखा, जिसके बाद 2018 में उसे हिरासत में ले लिया गया।
इस्लाम को 2020 में उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद रिहा किया गया था, जिसमें दो साल से अधिक समय तक निरूद्ध केंद्र में रहने वाले सभी बंदियों को रिहा करने का आदेश दिया गया था।
खानम ने कहा, ‘‘मेरे पति पूर्व स्कूल शिक्षक हैं और कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं। 23 मई को मिकिरभेटा पुलिस थाने के पुलिसकर्मी हमारे घर आए और उन्हें यह कहते हुए ले गए कि पूछताछ करनी है और उसके बाद वे घर लौट सकते हैं।’’
खानम ने कहा कि उन्हें आभास हो गया था कि मामला अधिक गंभीर है, क्योंकि पुलिस देर रात आई थी।
उन्होंने दावा किया, ‘‘बाद में हमें जानकारी हुई कि उन्हें मोरीगांव के पुलिस अधीक्षक के कार्यालय ले जाया गया और वहां से मटिया (गोलपाड़ा जिले में) स्थित निरुद्ध केंद्र में भेज दिया गया। फिर, वीडियो सामने आया, जिसके जरिये हमें जानकारी मिली कि उन्हें बांग्लादेश निर्वासित कर दिया गया है।’’
माना जा रहा है कि इस्लाम उन 14 बांग्लादेशी घुसपैठियों में शामिल है, जिन्हें मंगलवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने दक्षिण सलमारा मनकाचर सीमा के जरिए बांग्लादेश वापस भेज दिया।
बीएसएफ के एक अधिकारी ने लोगों को निर्वासित करने की पुष्टि की। बीएसएफ ने एक आधिकारिक बयान में कहा, ‘‘बांग्लादेशियों के एक बड़े समूह’’ ने घुसपैठ का प्रयास किया था, जिसे सीमा प्रहरियों ने सफलतापूर्वक विफल कर दिया।
खानम ने दावा किया कि एफटी के निर्णय के खिलाफ उनके पति की अपील उच्चतम न्यायालय में लंबित है। हालांकि, स्थानीय पुलिस ने कहा कि उनके पास इस्लाम को निर्वासित करने की आवश्यक मंजूरी है।
पुलिस के एक स्थानीय अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘खैरुल इस्लाम के मामले में, हमें उसे निर्वासित करने के लिए आवश्यक मंजूरी मिल गई थी। लेकिन उसके दो भाइयों और एक बहन के लिए, जिन्हें एफटी द्वारा विदेशी घोषित किया गया था, हम कानूनी औपचारिकताओं का इंतजार कर रहे हैं। इसलिए, हमने उन्हें हिरासत में नहीं लिया है।’’
भाषा धीरज दिलीप
दिलीप