नयी दिल्ली, 30 मई (भाषा) भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य उत्पादों के लेबल पर ‘100 प्रतिशत’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर सख्त परामर्श जारी करते हुए कहा है कि इससे उपभोक्ताओं के गुमराह होने की आशंका होती है।
शीर्ष खाद्य नियामक ने एक बयान में कहा कि उसने सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) को खाद्य लेबल, पैकेजिंग और प्रचार सामग्री पर ‘100 प्रतिशत’ शब्द के इस्तेमाल से परहेज करने को कहा है।
इसकी वजह यह है कि यह शब्दावली अस्पष्ट है और इससे मौजूदा नियामकीय प्रावधानों के भीतर गलत व्याख्या की आशंका बनी रहती है।
एफएसएसएआई ने बृहस्पतिवार को जारी सलाह में खाद्य उत्पादों के लेबल और प्रचार मंचों पर ‘100 प्रतिशत’ शब्द के इस्तेमाल में धड़ल्ले से हो रही बढ़ोतरी को उजागर किया।
प्राधिकरण ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी शब्दावली न केवल मौजूदा नियमों के तहत अपरिभाषित है, बल्कि भ्रामक भी है और उपभोक्ताओं के बीच गलत धारणा पैदा कर सकती है।
खाद्य सुरक्षा एवं मानक (विज्ञापन एवं दावे) विनियम, 2018 के मुताबिक, ‘100 प्रतिशत’ शब्द को एफएसएस अधिनियम, 2006 या उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों एवं विनियमों के तहत किसी भी तरीके से परिभाषित या संदर्भित नहीं किया गया है।
इसके अलावा, इन विनियमों के उप-विनियमन 10(7) में किसी भी ऐसे विज्ञापन या दावे को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है जो अन्य विनिर्माताओं को कमतर आंकता है या भ्रामक तरीके से उपभोक्ता की धारणा को प्रभावित करता है।
उप-विनियम 4(1) के तहत यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि दावे सत्य, स्पष्ट, सार्थक, भ्रामक न हों और उपभोक्ताओं को दी गई जानकारी को समझने में मदद करें।
इन चिंताओं को देखते हुए खाद्य व्यवसाय से जुड़ी सभी कंपनियों को खाद्य उत्पाद लेबल, पैकेजिंग और किसी भी तरह की प्रचार सामग्री पर ‘100 प्रतिशत’ शब्द का उपयोग न करने की सलाह दी गई है।
एफएसएसएआई ने कहा कि वह उपभोक्ता हितों की रक्षा और सूचना-आधारित विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए खाद्य लेबलिंग में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है।
भाषा राजेश राजेश प्रेम
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