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Monday, July 28, 2025

साहित्य सम्मेलन में लेखिकाओं ने ‘भारत का नारीवादी साहित्य’ पर अपने विचार रखे

Newsसाहित्य सम्मेलन में लेखिकाओं ने ‘भारत का नारीवादी साहित्य’ पर अपने विचार रखे

नयी दिल्ली, 30 मई (भाषा) राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में शुक्रवार को साहित्य अकादमी के साहित्यिक सम्मेलन में प्रख्यात लेखिकाओं और विद्वानों ने ‘भारत का नारीवादी साहित्य: नयी पृष्ठभूमि’ विषय पर चर्चा की।

उड़िया लेखिका प्रतिभा रे. के नेतृत्व वाले सत्र में लेखिका अनामिका, अनुजा चंद्रमौली, महुआ माजी, निधि कुलपति, प्रीति शेनॉय और तामिझाची थंगापांडियन ने भाग लिया।

तमिल लेखिका व दक्षिण चेन्नई से लोकसभा सांसद थंगापांडियन ने क्षेत्रीय नारीवाद पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने साथ ही महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली पश्चिमी नारीवादी हस्तियों की सराहना की।

थंगापांडियन ने कहा, ‘‘आप सिर्फ पश्चिमी नारीवाद को अपनाकर उसे क्षेत्रीय नारीवाद के तौर पर स्थापित नहीं कर सकते। मैंने हमेशा क्षेत्रीय नारीवाद की वकालत की है, क्योंकि हमारे यहां जाति की एक बहुत ही अजीब समस्या है, जो पश्चिमी लोगों के पूरी तरह समझ में आने वाली नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बेशक हमने हमेशा उन सभी नारीवादियों की प्रशंसा की है जिन्होंने हमारे हर अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी है। हम उनकी प्रशंसा करते हैं और उनसे हमें सभी बुनियादी सिद्धांत मिलते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि नारीवाद का मूल सिद्धांत अब भी ग्रामीण लोककथाओं और मेरी बहनों के जीवंत अनुभवों में मौजूद है।’’

अंग्रेजी लेखिका अनुजा चंद्रमौली ने कहा, ‘‘दुनिया के कई हिस्सों में नारीवाद को आज भी बुरा शब्द माना जाता है और 2025 में भी हमें यह स्पष्ट करना होगा कि नारीवाद मानवतावाद है। यह हमेशा सभी के लिए समान अधिकारों के बारे में था, यह किसी एक लिंग को अनुचित लाभ देने के बारे में नहीं है।’’

हिंदी लेखिका और सांसद महुआ माजी ने हिंदी साहित्य में महिलाओं की अभिव्यक्तिवादी और रचनात्मक लेखन को रेखांकित किया। उन्होंने नारीवाद के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला। वहीं हिंदी कवि और लेखिका अनामिका ने कहा कि भारतीय नारीवादी साहित्य सीमाओं का विस्तार कर रहा है और रिश्तों को फिर से परिभाषित कर रहा है।

अंग्रेजी लेखिका प्रीति शेनॉय ने कहा कि ‘लेखन के माध्यम से, महिलाएं अपनी शक्ति पुनः प्राप्त करती हैं, एक शांत क्रांति को जन्म देती हैं जो हर शब्द और हर आवाज के साथ प्रबल होती है।

भाषा यासिर धीरज

धीरज

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