नयी दिल्ली, 30 मई (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने तेलंगाना से गुजरने वाली गोदावरी नदी में औद्योगिक अपशिष्टों और गैर-शोधित सीवेज के अनियंत्रित निर्वहन के कारण कथित रूप से हो रहे गंभीर प्रदूषण के संबंध में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य से जवाब मांगा है।
अधिकरण एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने एक खबर का स्वतः संज्ञान लिया था। उस खबर में दावा किया गया है कि गोदावरी नदी के तेलंगाना क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर गंभीर बिंदु पर पहुंच गया है तथा आदिलाबाद, करीमनगर, वारंगल और खम्मम जैसे जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं।
अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने 29 मई को दिए आदेश में कहा, ‘‘खबरों में कहा गया है कि भद्राचलम जैसे स्थानों में नदी का पानी काला हो गया है और उससे दुर्गंध आ रही है, जिससे वह मानव के इस्तेमाल के लिए अनुपयुक्त हो गया है।’’
आदेश में कहा गया है, ‘‘इसके अलावा, खबर में कहा गया है कि महाराष्ट्र में गोदावरी नदी का नासिक से पैठण तक का 300 किलोमीटर का क्षेत्र अत्यंत उच्च जैविक प्रदूषण का सामना कर रहा है, जिसमें बीओडी का स्तर बहुत अधिक है, जो जीवन के लिए नुकसानदायक है।’’
पीठ ने रिपोर्ट पर गौर किया, जिसके अनुसार ‘‘औरंगाबाद और पैठण में भारी धातु संदूषण के कारण लौह, जस्ता, निकल और तांबे का स्तर अत्यधिक हो गया है, जिससे पानी पीने के लिए असुरक्षित हो गया है और प्रदूषण संकट आंध्र प्रदेश में गहरा रहा है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘खबर में कहा गया है कि नासिक और नांदेड़ के निकट के खेतों से उर्वरक और कीटनाशकों सहित कृषि अपशिष्ट बिना किसी शोधन के सीधे नदी में प्रवाहित हो जाता है।’’
उसने मामले को चेन्नई स्थित अपनी दक्षिणी पीठ के समक्ष एक अगस्त के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, ‘‘उपर्युक्त प्रतिवादियों को अपना प्रत्युत्तर/उत्तर दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया जाए।’’
भाषा
देवेंद्र अविनाश
अविनाश
अविनाश