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Thursday, August 14, 2025

छत्तीसगढ़ में कोयला खदान के लिए हसदेव वन में पेड़ों की कटाई पर नहीं कर सकते सुनवाई : एनजीटी

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नयी दिल्ली, 30 मई (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि वह छत्तीसगढ़ के हसदेव वन में खनन के लिए कथित वनों की कटाई के मुद्दे पर आगे की सुनवाई नहीं कर सकता, क्योंकि वह पहले भी इस विषय पर सुनवाई कर चुका है और संबंधित मामला अब उच्चतम न्यायालय और एक उच्च न्यायालय में भी लंबित हैं।

अधिकरण उस मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने राजस्थान सरकार की बिजली उत्पादन कंपनी, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम (आरआरवीयूएन) को आवंटित कोयला खदान, परसा ईस्ट-केंटे बसन (पीईकेबी) द्वितीय चरण में खनन के लिए राज्य वन विभाग द्वारा पेड़ों की कटाई के विषय में मीडिया में आई खबरों पर स्वतः संज्ञान लिया था।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 28 मई के आदेश में कहा कि उच्चतम न्यायालय और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में लंबित दो रिट याचिकाओं में, इस अर्जी में उठाये गए मुद्दों को ‘काफी हद तक’ शामिल किया गया है।

अधिकरण ने कहा कि भोपाल स्थित अधिकरण की मध्य क्षेत्रीय पीठ ने प्रस्तावित पीईकेबी कोयला खनन परियोजना के लिए कोरबा और सरगुजा जिलों के हसदेव वन में 15,000 से अधिक पेड़ों की ‘अवैध’ कटाई से संबंधित मामले का पहले ही निस्तारण कर दिया है।

अधिकरण ने मध्य क्षेत्रीय पीठ के तीन अप्रैल के आदेश पर संज्ञान लिया, जिसके अनुसार, ‘‘संबंधित प्राधिकारियों द्वारा परियोजना और पेड़ों की कटाई के लिए उपयुक्त अनुमति ली गई है। संयुक्त समिति की रिपोर्ट में नियमों के किसी उल्लंघन की बात सामने नहीं आई है। इसलिए, अधिकरण द्वारा आगे कोई कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं है।’’

भाषा धीरज सुभाष

सुभाष

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