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Monday, August 4, 2025

मालवाहक जहाज हादसा: थरूर ने केंद्र से तत्काल रोकथाम और निगरानी उपाय करने का आग्रह किया

Newsमालवाहक जहाज हादसा: थरूर ने केंद्र से तत्काल रोकथाम और निगरानी उपाय करने का आग्रह किया

तिरुवनंतपुरम, 30 मई (भाषा) कांग्रेस नेता एवं तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने केंद्र सरकार से 25 मई को अलप्पुझा तट पर मालवाहक जहाज के दुर्घटनाग्रस्त होने के मद्देनजर तटीय समुदायों और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए तत्काल रोकथाम और निगरानी उपाय करने का आग्रह किया है।

थरूर ने केंद्रीय मत्स्य पालन मंत्री राजीव रंजन सिंह, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और बंदरगाह एवं जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को लिखे पत्रों में इस संकट से निपटने और तटीय समुदाय को सहयोग पहुंचाने के लिए केरल को केंद्रीय सहायता उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में विदेश में मौजूद थरूर ने शुक्रवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पत्र पोस्ट किया।

उन्होंने अनुरोध किया कि पर्यावरण को होने वाली क्षति से बचाने और दुष्प्रभाव कम करने में केरल के प्रयासों का समर्थन करने के लिए विशेषज्ञ आपदा प्रतिक्रिया और पर्यावरण निगरानी टीम तैनात की जाएं।

उन्होंने आजीविका को हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रभावित मछुआरा समुदाय को वित्तीय राहत प्रदान करने की भी मांग की।

थरूर चाहते हैं कि केंद्र सरकार आपातकालीन व्यवस्थाओं, पर्यावरण सफाई और दीर्घकालिक पारिस्थितिकी बहाली तथा मछुआरा समुदाय को सहायता प्रदान करने के लिए होने वाले खर्च को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को मुआवजा दे।

उन्होंने बताया कि केरल सरकार ने संभावित गंभीर पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक परिणामों को ध्यान में रखते हुए इस घटना को राज्य-विशिष्ट आपदा घोषित किया है।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि घटना के बाद स्थानीय मछुआरा समुदाय की आजीविका लगभग समाप्त हो चुकी है।

पत्र में कहा गया है कि विनिर्माण उद्योग में कच्चे माल के रूप में उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक दानों की भारी मात्रा के तट पर बहने के कारण स्थिति और खराब हो गई है। पत्र के अनुसार, तिरुवनंतपुरम और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में तटीय क्षेत्रों में ये प्लास्टिक दाने देखे गये हैं, जो दीर्घकालिक खतरा है।

उन्होंने लिखा है कि मलबे वाली जगह पर अब भी डूबे हुए खतरनाक कंटेनर से तेल रिसाव होने का खतरा बना हुआ है, जिससे समुद्री जैव विविधता, प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र और तटीय आजीविका को अपूरणीय क्षति हो सकती है।

भाषा सुरेश अविनाश

अविनाश

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