बहराइच (उप्र), 31 मई (भाषा) बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर आयोजित होने वाले मेले पर रोक लगाए जाने के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने गाजी की दरगाह पर चादर चढ़ाई और कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मत अपनी जगह है लेकिन वह खुद गाजी को सूफी संत ही मानते हैं।
शुक्रवार को बहराइच आए सिद्दीकी ने सैयद सालार मसूद गाजी का महिमामंडन करते हुए कहा, ‘‘सैयद साहब का मकाम (दर्जा) बहुत बड़ा है। लाखों लोग यहां आकर माथा टेकते हैं, यहां से फैज (फायदा) हासिल करते रहे हैं। मैं भी अपने पिता के साथ यहां माथा टेकने आया हूं।’’
संवाददाताओं ने सिद्दीकी से पूछा कि आप यहां चादरपोशी कर रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस जगह का नाम लेकर कहा था कि आक्रांता का महिमामंडन करने वाले देशद्रोही होंगे। इस पर उन्होंने कहा, ‘‘योगी जी हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने किस संदर्भ में कहा, यह मैं नहीं जानता। योगी जी की आस्था, ज्ञान व जानकारी अपनी जगह पर है लेकिन मैं गाजी बाबा को मानता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मां ने बताया था कि मेरी मन्नत यहां से हुई थी और जब मैं छह माह का था तब मुझे यहां लाया गया था। मैं तभी से यहां आता हूं। आज अपनी आस्था से यहां आया हूं और हमें अपनी आस्था को पालन करने का अधिकार है।’’
गाजी को आक्रांता कहने के सवाल पर सिद्दीकी ने कहा, ‘‘गाजी बाबा 1015 में अजमेर में पैदा हुए थे और 1032 में उन्होंने पर्दा (मृत्यु का वरण) किया। अब एक हजार साल पहले की बात खोदकर निकालना संभव नहीं है, लेकिन मेरे जन्म से लेकर आज तक मैंने अपनी आंखों से जो चमत्कार देखे हैं उनके अनुसार गाजी बाबा एक संत हैं, सिद्ध पुरुष हैं, वो पीर और वली अल्लाह हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी यहां आते हैं। देश को जोड़ने का काम यहां होता है।’’
उन्होंने कहा कि यहां मेले पर रोक हो सकती है मगर उर्स पर कोई रोक नहीं है, लोग जियारत करने आ रहे हैं।
सैयद सालार मसूद गाजी की बहराइच में दरगाह है। हाल में बहराइच दौरे पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आक्रांताओं का महिमामंडन करने वालों को देशद्रोही तक की संज्ञा दे डाली थी।
उसके कुछ ही दिन बाद गाजी की दरगाह पर लगने वाले मेले पर कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए जिला प्रशासन ने रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने भी जिला प्रशासन के फैसले पर हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था और दरगाह में सिर्फ धार्मिक क्रियाकलापों को जारी रखने की अनुमति दी थी।
भाषा सं सलीम खारी
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