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Tuesday, July 8, 2025

मुख्यमंत्री धामी ने महिला स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण के लिए ‘आपदा सखी’ योजना शुरू करने की घोषणा की

Newsमुख्यमंत्री धामी ने महिला स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण के लिए ‘आपदा सखी’ योजना शुरू करने की घोषणा की

देहरादून, 31 मई (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को ‘आपदा सखी’ योजना शुरू करने की घोषणा की और कहा कि इसमें महिला स्वयंसेवकों को आपदा पूर्व चेतावनी, प्राथमिक चिकित्सा, राहत एवं बचाव कार्यों तथा मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।

यहां उत्तराखंड राज्य आपदा प्राधिकरण द्वारा मानूसन के मद्देनजर तैयारियों पर आयोजित एक कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘आपदा मित्र’ योजना की तर्ज पर ‘आपदा सखी’ योजना शुरू की जाएगी, जो महिला सशक्तीकरण की दिशा में सहायक सिद्ध होने के साथ ही आपदा प्रबंधन में समाज की सक्रिय सहभागिता को और मजबूत एवं प्रभावी बनाएगी।

उत्तराखंड को आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य बताते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा, ‘‘हमें बीते वर्षों में आई प्राकृतिक आपदाओं से सबक लेते हुए काम करना है। प्राकृतिक आपदाओं को टाला नहीं जा सकता, लेकिन त्वरित प्रतिक्रिया, सतर्कता और समन्वित राहत एवं बचाव कार्यों से जन-माल की हानि को कम किया जा सकता है।’’

मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन के कार्य को सभी विभागों का सामूहिक दायित्व बताते हुए कहा कि इसमें जनभागीदारी भी बेहद आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि जब तक समाज जागरूक, प्रशिक्षित और सतर्क नहीं होगा, तब तक किसी भी सरकारी प्रयास का प्रभाव सीमित ही रहेगा।

धामी ने कहा, ‘‘आपदा के दौरान सबसे पहले स्थानीय नागरिक ही मौके पर होते हैं इसलिए ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समितियों, महिला एवं युवा समूहों, स्वयंसेवी संगठनों तथा रेडक्रॉस जैसी संस्थाओं को प्रशिक्षित करना भी आवश्यक है।’’

मुख्यमंत्री ने आपदाओं के प्रभावी निपटारे के लिए ‘‘पहले से सतर्क रहने वाली और तत्काल प्रतिक्रिया’’ दोनों प्रकार की रणनीतियों को अपनाए जाने पर जोर देते हुए कहा कि 2024 में गौरीकुंड में बादल फटने की घटना के दौरान पहले से सतर्क रहने वाली रणनीति अपनाकर हजारों लोगों की जान बचाने में सफलता प्राप्त हुई थी जबकि 2024 में ही टिहरी जिले के तोली गांव में भूस्खलन से पूर्व प्रशासन की त्वरित कार्यवाही के कारण 200 से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकी थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वानुमान पर गंभीरता से काम करने के अलावा राज्य सरकार आपदा प्रबंधन में आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक उपायों को अपनाने पर जोर दे रही है।

उन्होंने कहा कि राज्य में त्वरित प्रतिक्रिया दल गठित करने के साथ ‘ड्रोन सर्विलांस, जीआईएस मैपिंग और सैटेलाइट मॉनिटरिंग’ के माध्यम से आपदा के संभावित जोखिम क्षेत्रों की पहचान की जा रही है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव राजेंद्र सिंह ने बताया कि मौसम विभाग ने आगामी मानसून में उत्तराखंड के लिए सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वनुमान लगाया है और ऐसे में उत्तराखंड के लिए 15 जून से सितंबर तक का समय आपदा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि भूस्खलन से बचाव के लिए उत्तराखंड को एनडीएमए ने 140 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है जबकि 190 संवेदनशील झीलों के लिए 40 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है।

सिंह ने कहा कि इसी प्रकार जंगल की आग से निपटने के लिए उत्तराखंड को एनडीएमए ने 16 करोड़ रूपये की योजना की स्वीकृति दी है।

भाषा दीप्ति शफीक

शफीक

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