चंडीगढ़, 31 मई (भाषा)हरियाणा मानवाधिकार आयोग (एचएचआरसी) ने 96 वर्षीय एक व्यक्ति और उसकी पत्नी की ‘‘बेहद परेशान करने वाली’’ स्थिति पर संज्ञान लिया है और मामले में गुरुग्राम के अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है।
जानकारी के मुताबिक इस दंपति की उपेक्षा करते हुए बेटे ने उन्हें छोड़ दिया है । यह व्यक्ति अपनी 86 वर्षीय पत्नी के साथ गुरुग्राम की सोसाइटी के एक फ्लैट में रहता है।
सोसाइटी के निवासियों और प्रतिनिधियों द्वारा की गई शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, आयोग ने गुरुग्राम जिला प्रशासन और स्वास्थ्य अधिकारियों को बुजुर्ग दंपति का तत्काल चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए हैं।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि वरिष्ठ नागरिकों को गंभीर उपेक्षा की स्थिति में छोड़ दिया गया है, उन्हें उचित चिकित्सा देखरेख के बिना केवल दो अप्रशिक्षित महिला परिचारिकाओं पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
शिकायत के मुताबिक बुजुर्ग व्यक्ति को अक्सर दर्द से तड़पते और रोते हुए सुना जाता है, जिससे न केवल उसकी पत्नी को बल्कि आस-पास के अन्य वरिष्ठ नागरिकों को भी गंभीर भावनात्मक आघात पहुंचता है। इसमें कहा गया कि दंपति के बेटे और स्थानीय अधिकारियों से बार-बार अपील करने के बावजूद कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, जिसके कारण ‘‘उनके बुनियादी मानवाधिकारों और सम्मान को बनाए रखने के लिए’’ आयोग से हस्तक्षेप का अनुरोध करना पड़ा।
एचएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने दपंति द्वारा लम्बे समय से झेली जा रही मानसिक और शारीरिक पीड़ा पर गहरी चिंता व्यक्त की तथा इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करार दिया।
न्यायमूर्ति बत्रा ने 29 मई के अपने आदेश में कहा कि अपार्टमेंट से दिन-रात आती कराह और निराशा की उदासीन आवाजों को महज़ ‘निजी मामला’ मानकर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जब बुजुर्ग दंपति को उचित देखभाल और सम्मान से वंचित किया जाता है, तो समाज और राज्य की साझा जिम्मेदारी है कि वे हस्तक्षेप करें।
न्यायमूर्ति बत्रा ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 के प्रावधानों, विशेषकर धारा 20 को रेखांकित किया, जो राज्य को वरिष्ठ नागरिकों के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए बाध्य करता है, जिसमें आरक्षित अस्पताल के बिस्तर, अलग कतार और रियायती उपचार शामिल हैं।
आयोग ने गुरुग्राम प्रशासन को बुजुर्ग दंपति के उपचार, देखभाल या पुनर्वास को लेकर एक स्थिति रिपोर्ट और दीर्घकालिक कार्य योजना तीन जुलाई, 2025 को अगली सुनवाई से पहले प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
भाषा धीरज पवनेश
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