नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने दक्षिण दिल्ली के मद्रासी कैंप झुग्गी बस्ती के निवासियों के पुनर्वास के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन नहीं किये जाने का आरोप लगाया।
मद्रासी कैंप में रविवार को झुग्गियों को ध्वस्त करने का अभियान शुरू होना है।
माकपा की दिल्ली इकाई ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि नरेला में विस्थापित परिवारों को आवंटित कुछ फ्लैट की हालत ‘दयनीय’ है। इनमें बिजली, पानी, दरवाजे और खिड़कियां जैसी आवश्यक सुविधाएं भी नहीं हैं।
माकपा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के नौ मई के आदेश का हवाला दिया, जिसमें संबंधित प्राधिकारियों को बारापुला नाले के किनारे तोड़फोड़ किए जाने से पहले प्रभावित निवासियों का उचित पुनर्वास सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था।
आदेश में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) जैसी एजेंसियों से आवंटित फ्लैट में 20 मई तक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होना सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए हैं।
पार्टी ने कहा कि कुल 350 परिवारों में से 215 को आवंटन किया गया। पार्टी ने कहा, ‘‘लेकिन खासकर दिल्ली के प्रतिकूल मौसम के दौरान इन घरों की बुनियादी अवसंरचना यहां रहने के लिए अनुपयुक्त थीं।’’
पार्टी ने कहा, ‘‘निवासियों से ऐसी आवासीय इमारतों में जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती, जो अभी भी असुरक्षित हैं।’’ साथ ही पार्टी ने कहा कि अगर एक जून को तय समय के अनुसार ध्वस्तीकरण शुरू हो जाता है, तो इससे कानून और व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
पार्टी ने कहा कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने रविवार सुबह साढ़े सात बजे से ध्वस्तीकरण अभियान की घोषणा करते हुए नोटिस चिपका दिये हैं।
पार्टी ने सरकारी एजेंसियों को जुलाई में शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले बच्चों के लिए स्कूल में प्रवेश सहित सुचारू स्थानांतरण सुनिश्चित किए जाने के लिए अदालत के निर्देश को लागू करने में विफल बताया और इन एजेंसियों की आलोचना की।
पार्टी ने कहा कि वह इस तरह के ध्वस्तीकरण का विरोध करती रहेगी और प्रभावित निवासियों का समर्थन करती रहेगी।
ये झुग्गियां लगभग 60 वर्षों से अस्तित्व में है, जिसमें 400 से अधिक मजदूर वर्ग के परिवार रहते हैं। यहां रहने वाले कई परिवारों को पिछले महीने बेदखली के नोटिस जारी किए गए थे।
इस मुद्दे पर निवासियों की ओर से भावुक अपील भी सामने आई है।
मद्रासी कैंप में 25 वर्षों से रह रहे शिवा ने यहां से लगभग 50 किलोमीटर दूर नरेला में बसाए जाने पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा, ‘‘वहां हमारे बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं है। हमें जो घर आवंटित किया गया है, वह टूटा हुआ है और उसमें पानी या बिजली नहीं है।’’
एक अन्य निवासी नेहा ने कहा कि वह एक दिहाड़ी मजदूर हैं और वह दूसरे स्थान पर बसने या अधिक किराया देने में सक्षम नहीं है।
भाषा यासिर दिलीप
दिलीप