मुंबई, 25 मई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र धर्मादाय आयुक्त (चैरिटी कमिश्नर) की वेबसाइट में ‘‘गंभीर समस्याओं’’ का संज्ञान लिया है तथा राज्य सरकार और आयुक्तालय को इसे तत्काल चालू करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है।
वहीं, धर्मादाय आयुक्तालय ने दावा किया कि राज्य सरकार वेबसाइट के सुचारू संचालन के लिए सहायता प्रदान नहीं कर रही है, जबकि सरकार के महाराष्ट्र सूचना प्रौद्योगिकी निगम लिमिटेड ने कहा कि आयुक्तालय ने आवश्यक विवरण नहीं दिया है।
न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की पीठ ने इस महीने की शुरुआत में पारित आदेश में आयुक्तालय को निर्देश दिया कि वह एक अधिकारी को महाराष्ट्र सूचना प्रौद्योगिकी निगम लिमिटेड के साथ संपर्क बनाए रखने के लिए नियुक्त करे, ताकि वेबसाइट से संबंधित सभी मुद्दों का समाधान सुनिश्चित किया जा सके।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि धर्मादाय आयुक्त की वेबसाइट में गंभीर समस्याएं हैं।’’ अदालत ने कहा कि हालांकि, धर्मादाय आयुक्तालय ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी कि उसकी वेबसाइट सुचारू तरीके से काम कर रही है, लेकिन यह गलत है।
अदालत ने श्रद्धा मोरे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। याचिका में राज्य धर्मादाय आयुक्त के अधीन नामित अधिकारियों के समक्ष मामलों को ई-फाइल करने के विकल्प की अनुपलब्धता के बारे में चिंता जताई गई थी।
तब, धर्मादाय आयुक्त ने अदालत को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि संगठन की वेबसाइट अगस्त 2016 से चालू थी और महाराष्ट्र सूचना प्रौद्योगिकी निगम लिमिटेड इसका प्रबंधन कर रहा।
रिपोर्ट में कहा गया कि चैरिटी संगठन को राज्य डेटा सेंटर के सर्वर पर हर महीने लगभग 500 जीबी स्पेस की आवश्यकता होती है। हालांकि, यह उपलब्ध नहीं कराया जा रहा था और इसलिए, वेबसाइट कई दिनों तक ठप रही।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में 14.99 टीबी स्पेस उपलब्ध कराया गया था, लेकिन कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण वेबसाइट काम नहीं कर रही थी। इन समस्याओं का समाधान कर लिया गया है और वेबसाइट अब सुचारू रूप से काम कर रही है।
अदालत ने कहा, ‘‘धर्मादाय आयुक्त को निर्देश दिया जाता है कि वह अपने सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को सभी कार्यवाहियों का डेटा अपडेट करने का निर्देश दें और ऐसे आदेशों या कार्यवाहियों को अपलोड करने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए।’’
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 11 जून के लिए निर्धारित कर दी, जिसके बाद सरकार और धर्मादाय आयुक्तालय को अपने अनुपालन हलफनामे दाखिल करने होंगे।
अगली सुनवाई तक, उच्च न्यायालय ने कहा कि चूंकि वेबसाइट चालू नहीं है, इसलिए सभी पक्षों को अपनी कार्यवाही मैन्युअल/ऑफलाइन दर्ज करने की अनुमति दी जाती है।
भाषा सुभाष दिलीप
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