जयपुर, 25 मई (भाषा) जैसलमेर जिले में भीषण सड़क हादसे में वन विभाग के कर्मचारी और तीन वन्यजीव कार्यकर्ताओं की मौत ने राज्य में वन्यजीव संरक्षण के लिए काम कर रहे व स्थानीय लोगों को झकझोर दिया है।
जैसलमेर जिले के लाठी इलाके में शुक्रवार रात भीषण सड़क हादसे में राधेश्याम पेमानी, श्याम बिश्नोई, कंवराज सिंह भाटी और सुरेंद्र चौधरी की मौत हो गई। सुरेंद्र वन विभाग में कर्मचारी थे तो बाकी युवक वन्य जीव संरक्षण के लिए काम करते थे।
पोकरण के धोलिया गांव के रहने वाले राधेश्याम पेमानी (28) को वन्यजीव प्रेमी के रूप में जाना जाता था। खासकर गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) के संरक्षण के लिए उन्होंने उल्लेखनीय काम किया। उन्होंने रेगिस्तानी इलाके में पक्षियों और जानवरों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पोकरण क्षेत्र में विशेष पहल की थी।
ग्रामीणों के सहयोग से उन्होंने पोकरण में 100 से अधिक छोटे हौद (खेली) बनाए। इन हौद व तालाबों को नियमित रूप से ट्रैक्टरों और टैंकरों के जरिए भरा जाता है।
अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के शिवराज बिश्नोई ने कहा, ‘‘पेमानी ने वन्यजीव संरक्षण को अपने जीवन का मिशन बना लिया था। उन्होंने जमीनी स्तर पर काम करके दिखाया। उन्होंने रेगिस्तानी इलाके में पक्षियों और जानवरों को पानी उपलब्ध कराने का एक बड़ा मिशन शुरू किया। मैं क्षेत्र के सभी युवाओं से आग्रह करूंगा कि वे इस मिशन को बढ़ाने के लिए आगे आएं।’’
उन्होंने कहा कि सभा इस हादसे में जान गंवाने वाले चारों वन्यजीव प्रेमियों की याद में एक स्मारक बनाएगी।
शिवराज बिश्नोई ने कहा, ‘‘मैं राज्य सरकार से मांग करता हूं कि उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं क्षेत्र के युवाओं से भी अपील करता हूं कि वे श्याम बिश्नोई के मिशन को जारी रखें और उनके अधूरे काम को आगे बढ़ाएं। उनके परिवारों की हर संभव मदद की जाएगी।’’
शुक्रवार की रात राधेश्याम पेमानी, श्याम बिश्नोई और कंवराज सिंह भाटी, वन रक्षक सुरेंद्र चौधरी के साथ लाठी क्षेत्र में शिकार की सूचना मिलने के बाद निकले थे और रास्ते में ही उनकी गाड़ी ट्रक से टकरा गई जिससे चारों की मौत हो गई।
पेमानी ने रेगिस्तानी क्षेत्र में गोडावण के संरक्षण का मुद्दा भी उठाया था। उन्होंने चिंकारा सहित कई पक्षियों को बचाया और उनका पुनर्वास किया। वह अवैध शिकार के खिलाफ सक्रिय थे और उनके अथक प्रयासों को कई संगठनों ने मान्यता दी थी।
इलाके के अन्य कार्यकर्ता माल सिंह ने कहा, ‘‘राधेश्याम हमेशा जानवरों और पक्षियों को बचाने के लिए तैयार रहते थे। वह एक समर्पित कार्यकर्ता थे। सरकार को चारों के परिवारों की हर संभव मदद करनी चाहिए।’’
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और कई अन्य नेताओं ने भी वन्यजीव कार्यकर्ताओं के निधन पर शोक व्यक्त किया।
भाषा पृथ्वी शफीक
शफीक