इंफाल, 25 मई (भाषा) मणिपुर की राजधानी इंफाल में राजभवन का घेराव करने जा रहे प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच रविवार को झड़प हो गई। प्रदर्शनकारी सरकारी बस से राज्य का नाम हटाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे।
सीओसीओएमआई (मणिपुर की अखंडता पर समन्वय समिति) द्वारा बड़े पैमाने पर आंदोलन करने के आह्वान पर प्रदर्शनकारी ख्वाइरामबंद में एकत्र हुए और सुरक्षाबलों द्वारा रोके जाने से पहले लगभग 500 मीटर तक रैली निकाली।
वे मणिपुर की पहचान के कथित अपमान को लेकर राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से माफी की मांग कर रहे थे।
राजभवन के गेट से करीब 150 मीटर दूर कांगला गेट के सामने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के कई गोले दागे।
अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि पांच प्रदर्शनकारियों को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
एक प्रदर्शनकारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ राज्यपाल अपनी चुप्पी से लोगों की भावनाओं की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने और उनके प्रशासन ने राज्य पर शासन करते हुए राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का पूरी तरह अपमान किया है। इस घटना की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित जांच आयोग पर्याप्त नहीं है और इसमें शामिल लोगों को दंडित करने के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है। ’’
यह विरोध प्रदर्शन 20 मई को उखरुल जिले में शिरुई महोत्सव के लिए जा रही मणिपुर राज्य परिवहन की बस से ‘मणिपुर’ शब्द हटाने के कथित निर्देश के बाद हुआ है।
सीओसीओएमआई ने राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की है और मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) तथा सुरक्षा सलाहकार के इस्तीफे की मांग की है।
इसके बाद मणिपुर सरकार ने बुधवार को उन आरोपों की जांच के आदेश दिए, जिनमें कहा गया है कि शिरुई लिली महोत्सव में पत्रकारों को ले जा रही बस में सुरक्षाकर्मियों ने राज्य के नाम को ढकने के लिए मजबूर किया।
सुरक्षा बलों ने मंगलवार 20 मई को उखरुल जिले में ‘शिरुई लिली’ उत्सव की रिपोर्टिंग करने के लिए पत्रकारों को ले जा रही एक सरकारी बस को कथित तौर पर रोक दिया था, और सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय (डीआईपीआर) के अधिकारियों को खिड़की पर लिखे राज्य के नाम को सफेद कागज से छिपाने के लिए मजबूर किया था।
मणिपुर सरकार ने इस घटना की जांच के लिए दो सदस्यीय जांच समिति गठित की है।
भाषा रवि कांत प्रशांत
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