नयी दिल्ली, नौ जून (भाषा) नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनएसईएफआई) ने केंद्र सरकार से नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) शुल्क में दी गई छूट को जून, 2026 तक बढ़ाने का आग्रह किया है।
सौर ऊर्जा गतिविधियों से जुड़े हितधारकों के संगठन ने यह मांग उन सौर ऊर्जा डेवलपर के लिए की है जो अनचाही देरी के कारण अपनी परियोजनाओं को समय पर पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
एनएसईएफआई ने प्रधानमंत्री कार्यालय के सलाहकार को लिखे एक पत्र में कहा है कि केंद्रीय बिजली नियामक आयोग की तरफ से आईएसटीएस में दी गई छूट लागू करने में हुई देरी और उच्चतम न्यायालय में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ पक्षी के संरक्षण से जुड़े मामले पर सुनवाई जारी होने जैसे गतिरोधों के कारण कई परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं।
पत्र के मुताबिक, इन परियोजनाओं के डेवलपर ने विद्युत मंत्रालय की अधिसूचना के आधार पर प्रारंभिक निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन अब 30 जून, 2025 की मौजूदा समयसीमा तक काम पूरा करना मुश्किल है।
एनएसईएफआई का अनुमान है कि यह छूट आगे नहीं बढ़ाए जाने पर लगभग पांच लाख करोड़ रुपये मूल्य की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
महासंघ ने परियोजनाओं को छूट के लिए पात्र माने जाने से संबंधित एक ढांचा प्रस्तावित किया है। इसमें 30 जून, 2023 तक पारेषण कनेक्टिविटी के लिए आवेदन करने वाली, वित्त जुटा चुकी और जरूरी भूमि का 50 प्रतिशत तक अधिग्रहण कर चुकी परियोजनाएं शामिल की गई हैं।
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