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प्रधानमंत्री अभी भी क्यों भाग रहे हैं; कांग्रेस ने प्रेस वार्ता नहीं करने का आरोप लगाया

Newsप्रधानमंत्री अभी भी क्यों भाग रहे हैं; कांग्रेस ने प्रेस वार्ता नहीं करने का आरोप लगाया

नयी दिल्ली, नौ जून (भाषा) कांग्रेस ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह ‘बिना पूर्व निर्धारित सवाल-जवाब’ के प्रेस वार्ता नहीं करते।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘कल हमने प्रधानमंत्री को सत्ता में 11 साल पूरे होने के मौके पर पहली बार बिना पूर्व निर्धारित सवाल-जवाब वाली अनस्क्रिप्टेड प्रेस वार्ता करने की खुली चुनौती दी थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आज सामने आए हैं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा जिन्हें दोपहर 12 बजे प्रेस से बात करने के लिए भेजा गया है ताकि इन 11 वर्षों की उपलब्धियों का ढोल पीटा जा सके।’’

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री अब भी परहेज क्यों कर रहे हैं? क्या अब भी सवाल-जवाब रटने में समय लग रहा है? या फिर ऐसे अनुकूल चेहरे तलाशे जा रहे हैं जो सवाल भी करें लेकिन पूरी आज्ञाकारी मुद्रा में? या फिर भारत मंडपम अब तक पूरी तरह तैयार नहीं हुआ?’’

एक अन्य पोस्ट में रमेश ने आज यहां भाजपा मुख्यालय में हुए संवाददाता सम्मेलन में शामिल नहीं होने के लिए प्रधानमंत्री पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा, ‘‘11 साल का जश्न लेकिन अब भी अलिखित और पूर्व निर्धारित संवाददाता सम्मेलन से प्रधानमंत्री नौ दो ग्यारह हैं। भारत मंडपम उनका इंतजार कर रहा है।’’

कांग्रेस के इन आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) या सरकार की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया था कि देश के शासनाध्यक्ष समय-समय पर संवाददाता सम्मेलन करते रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने 11 साल से प्रेस के सीधे सवालों का सामना नहीं किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल चुनाव प्रचार के दौरान नरेन्द्र मोदी ने मीडिया के साथ बातचीत को एक शो की तरह प्रोड्यूस, डायरेक्ट और स्क्रिप्ट किया – जिसमें उन्होंने खुद को ‘‘नॉन-बायोलॉजिकल’’ बताने वाला चर्चित दावा भी किया था। लेकिन अब तक उन्होंने कभी भी बिना संपादन, बिना स्क्रिप्ट वाली एक भी असली प्रेस वार्ता करने का साहस नहीं दिखाया।’’

रमेश ने लिखा, ‘‘यह उनके पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों से बिल्कुल उलट है, जिनसे वे विशेष रूप से नफरत करते हैं, वे तो लगभग हर दूसरे महीने बेधड़क प्रेस वार्ता करते थे, जहां उनसे कठोर सवाल पूछे जाते थे और वे गंभीरता व संयम से जवाब देते थे। हमारे लोकतंत्र की बुनियादें, ऐसी ही संवाद परंपराओं से मजबूत हुई हैं।’’

भाषा

वैभव नरेश

नरेश

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