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Tuesday, August 12, 2025

हमारे लिए न कोई अगड़ा है, न पिछड़ा, न दलित, कानून तोड़ने वाले को सजा मिलेगी: केशव मौर्य

Newsहमारे लिए न कोई अगड़ा है, न पिछड़ा, न दलित, कानून तोड़ने वाले को सजा मिलेगी: केशव मौर्य

लखनऊ, नौ जून (भाषा) उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके लिए न कोई अगड़ा है, न पिछड़ा और न दलित, कानून तोड़ने वाले को सजा मिलेगी चाहे वह कोई भी हो।

मौर्य ने यह भी कहा कि आप (अखिलेश यादव) बार-बार समाज को जातियों में बांटकर राजनीति करना चाहते हैं, ताकि अपना वोटबैंक और सपा को सफा होने से बचा सकें।

दरअसल, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार सुबह ‘एक्स पर एक लंबे पोस्ट में कहा, “भाजपा की अंदरूनी राजनीति की शर्मनाक लड़ाई में अब कौशांबी (मौर्य का गृह जिला) में दो भाजपाई उपमुख्यमंत्री, दो समाज के लोगों को आपस में लड़वा रहे हैं।”

यादव ने पिछड़ी जाति और अगड़ी जाति के दो गुटों के बीच संघर्ष की ओर संकेत करते हुए बिना किसी का नाम लिए कहा, “ पहले एक उपमुख्यमंत्री ने नाइंसाफी करते हुए ‘पाल’ समाज के लोगों को मोहरा बनाया, फिर दूसरे उपमुख्यमंत्री ने अपने उस समाज के नाम पर झूठी सहानुभूति दिखाई, जो समाज (ब्राह्मण) इन दोनों के ‘ऊपरवालों’ को नहीं भाता है, इसीलिए पीछे से वो भी सक्रिय हो गये, जिनकी पहलेवाले उप मुख्यमंत्री से पुरानी खींचातान है।”

उन्होंने कहा, “और फिर इन ऊपरवालों के ऊपरवालों की भी आपस में टकराहट है, इसीलिए केंद्र वाले कौशांबी की राजनीति करनेवालों के साथ खड़े हैं। ध्यान से समझा जाए तो ये भाजपा की अंदर की राजनीति में मचा एक बड़ा घमासान है, जिसमें दो या दो से अधिक समाजों को आपस में भिड़वाकर ‘कौशांबी, लखनऊ, दिल्ली’ की भाजपाई राजनीति अपना वीभत्स खेल-खेल रही है, जिसका शिकार जनता हो रही है।”

यादव ने कहा, “इस लड़ाई में वो भी कूद पड़े हैं जिनका समाज ‘सत्ता सजातीय’ राजनीति का विशेष रूप से शिकार है और लगातार सत्ता के निशाने पर है, जिसके कारण दूसरे उप मुख्यमंत्री अपने समाज पर हो रहे अत्याचार और अपमान पर अपनी कुर्सी बचाने के लिए सुविधाजनक चुप्पी साधे बैठे हैं।”

उन्होंने कहा, “कौशांबी के मामले में उनको लगा कि जब वो कुछ सक्रियता दिखाएंगे तो शायद सत्ता द्वारा निरंतर उत्पीड़ित व अपमानित किये जा रहे उनके अपने समाज में वे मुंह दिखाने लायक बन जाएंगे।”

सपा प्रमुख ने कहा,“सच तो ये है कि भाजपाइयों को जनता या किसी समाज की कुछ नहीं पड़ी है, सब अपनी-अपनी खो चुकी जमीन की संभावना फिर से तलाशना चाहते हैं लेकिन अब जनता बहुत चौकन्नी और जागरूक है, वो भाजपा की विभाजनकारी नकारात्मक राजनीति को अब और पनपने नहीं देगी।”

उन्होंने कहा, ‘‘ ‘शीर्ष भाजपाइयों’ और ‘शिखर भाजपाइयों’ के आपसी झगड़े के कारण, हर वर्ग और समाज बीच में पिस रहा है। सच्चाई तो ये है कि समाज को बांटना और लड़ाना ही भाजपाइयों की पुरानी सियासत रही है, जिसे उन्होंने उन अंग्रेजों से सीखा है, जिनका उन्होंने हमेशा साथ दिया था।”

यादव ने दावा किया, ‘‘कौशांबी भाजपा के अन्याय का शिकार है। भाजपा से हर वर्ग और समाज को अब और भी सचेत व सतर्क रहना पड़ेगा, नहीं तो ये भाजपाई समाजों के बीच आग लगाकर अपनी सियासी रोटी सेंकने में लगे रहेंगे, एक को फंसाकर आत्महत्या पर मजबूर करेंगे तो दूसरे पर इनाम घोषित करवाएंगे। कौशांबी का बच्चा-बच्चा जानता है कि सच क्या है।”

यादव के इस बयान के कुछ घंटे बाद केशव प्रसाद मौर्य ने ‘एक्स’ पर पलटवार करते हुए कहा, “हमारे लिए न कोई अगड़ा है, न पिछड़ा, न दलित, जो कानून तोड़ेगा उसे सजा मिलेगी चाहे वह कोई भी हो।”

उन्होंने कहा, “अगर पुलिस भी गलती करती है, तो उस पर भी कार्रवाई होगी।”

उपमुख्यमंत्री ने कहा, “उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ जनता को न्याय और सुशासन देना हमारा संकल्प है। इसके लिए जातिवादी मानसिकता से ऊपर उठना ज़रूरी है।”

उन्होंने कहा, “हम ‘न्याय सभी के लिए, पक्षपात किसी से नहीं’ की नीति पर चलते हैं, यही भाजपा की प्रतिबद्धता है।”

मौर्य ने सपा प्रमुख को सीधे संबोधित करते हुए कहा, “अखिलेश यादव जी, आप बार-बार समाज को जातियों में बांटकर राजनीति करना चाहते हैं, ताकि अपना वोटबैंक और सपा को सफा होने से बचा सकें।”

मौर्य ने आरोप लगाया कि उन्हें (अखिलेश) ‘मौर्य’, ‘पाल’, ‘पासी’, ‘दलित’ जैसे समाजों की चिंता नहीं, उनके नाम पर सिर्फ राजनीति करनी है।

मौर्य ने कहा कि अखिलेश की राजनीति का आधार जातीय उकसावा और झूठी सहानुभूति है, लेकिन अब उप्र की जनता जाग चुकी है और सपा के चाल-चरित्र को समझती है।

मौर्य ने दावा करते हुए कहा, ‘‘आपका जातिवादी एजेंडा नाकाम हो चुका है। सपा डूबता जहाज है। उत्तर प्रदेश अब सुशासन की दिशा में आगे बढ़ रहा है और आगे ही बढ़ता रहेगा।’’

भाषा आनन्द संतोष

संतोष

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