पणजी, नौ जून (भाषा) गोवा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) के चिकित्सकों ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन सोमवार को एक दिन के लिए रोक दिया। चिकित्सकों ने उस वरिष्ठ डॉक्टर से व्यक्तिगत रूप से माफी मांगने के लिए मंत्री के वास्ते 24 घंटे की समयसीमा निर्धारित की, जिनके निलंबन का आदेश उन्होंने सार्वजनिक रूप से दिया था।
चिकित्सकों ने मंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जबकि विपक्षी कांग्रेस ने शनिवार को जीएमसीएच में हुई घटना को लेकर उनके इस्तीफे की मांग की है।
मंत्री ने शनिवार को अपने औचक निरीक्षण के दौरान जीएमसीएच के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर पर मरीजों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया था और उन्हें निलंबित करने का आदेश दिया था।
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने रविवार को विवादास्पद फैसले को खारिज करके स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की।
राणे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और गोवा एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जीएआरडी) सहित अन्य संगठनों के निशाने पर हैं। जीएआरडी ने हड़ताल की चेतावनी भी दी है।
आईएमए की गोवा इकाई के सदस्यों, जीएमसीएच के विभागाध्यक्षों, परामर्शदाताओं, छात्रों और मेडिकल इंटर्न समेत कई चिकित्सकों ने बम्बोलिम में अस्पताल के सामने राणे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
जीएमसीएच के डीन डॉ. शिवानंद बांदेकर के हस्तक्षेप के बाद प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन स्थगित कर दिया।
जीएआरडी अध्यक्ष आयुष शर्मा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मंत्री को डॉ. कुट्टीकर से व्यक्तिगत तौर पर माफी मांगनी चाहिए।
इससे पहले दिन में मंत्री ने सोशल मीडिया के जरिये डॉक्टर से माफ़ी मांगी थी। हालांकि, प्रदर्शनकारी इस कदम से संतुष्ट नहीं थे।
शर्मा ने कहा, ‘‘हमारी जगह आकर सोचें कि डॉक्टर ने जिस अपमान का सामना किया, क्या माफी उसके अनुरूप थी।’’
राणे ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, ‘जीएमसीएच के दौरे के दौरान मैंने डॉ. कुट्टीकर को जो कठोर शब्द कहे, उसके लिए मैं उनसे दिल से माफी मांगता हूं।’
मंत्री ने कहा, ‘‘क्षणिक उत्तेजना में मेरी भावनाएं मेरी अभिव्यक्ति पर हावी हो गईं और जिस तरह से मैं स्थिति से निपटा, उसके लिए मुझे गहरा खेद है।’’
उन्होंने कहा कि किसी भी चिकित्सा पेशेवर की गरिमा को कमतर करने या उसका अनादर करने का उनका कभी भी इरादा नहीं था। उन्होंने कहा, ‘चिकित्सकों का हमारे समाज में एक पवित्र और महान स्थान है। वे लोगों को ठीक करने, उन्हें आराम देने और उनकी जान बचाने के लिए अथक परिश्रम करते हैं।’’
मंत्री ने कहा कि भले ही उनके बोलने का लहजा सही नहीं होगा, लेकिन उनका इरादा हमेशा यह सुनिश्चित करना था कि किसी भी मरीज को समय पर देखभाल से वंचित न किया जाए और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली उत्तरदायी और करुणामय बनी रहे।
जीएमसीएच के डीन डॉ. बांदेकर ने कहा, ‘उन्होंने (चिकित्सकों ने) माफी की मांग की है। मैंने स्वास्थ्य मंत्री के कार्यालय को इस बारे में सूचित कर दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘डीन के तौर पर मैंने और विभागाध्यक्षों ने ऐसी घटनाओं से बचने का फ़ैसला किया है। हम मिलकर काम करेंगे।’
डीन ने कहा कि प्रशासन ने अस्पताल में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी पर प्रतिबंध लगाने तथा वीआईपी संस्कृति पर रोक लगाने की चिकित्सकों की मांग को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा, ‘हम वीआईपी उपचार के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करेंगे।’
कांग्रेस ने प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के समर्थन में आवाज़ उठायी है और राणे को हटाने की मांग की है।
गोवा प्रदेश कांग्रेस समिति (जीपीसीसी) के अध्यक्ष अमित पाटकर ने एक पोस्ट में कहा कि पार्टी राज्य के चिकित्सकों के साथ पूरी तरह एकजुट है। उन्होंने कहा, ‘जब लोगों की जान बचाने वाले लोग अपने स्टेथोस्कोप लटकाकर सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो जाते हैं, तो यह सिर्फ़ हड़ताल नहीं है – यह सम्मान, न्याय और सुरक्षा की पुकार है।’
उन्होंने कहा कि गोवा को परेशान करने वाली असली बीमारी भाजपा का अहंकार के नशे में चूर होना है। उन्होंने कहा, ‘विश्वजीत राणे ने सत्ता का दुरुपयोग करते हुए सारी हदें पार कर दी हैं।’
पाटकर ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत से कार्रवाई की मांग करते हुए कहा, ‘उन्हें तुरंत पद से हटायें या फिर जन विद्रोह का सामना करें।’
भाषा अमित रंजन
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