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Tuesday, June 10, 2025

सीतारमण ने एसपीएमसीआईएल को जल्द नवरत्न का दर्जा मिलने की उम्मीद जताई

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(तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली, नौ जून (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को भारतीय प्रतिभूति मुद्रण एवं मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) के प्रदर्शन की सराहना करते हुए उम्मीद जताई कि यह जल्द ही नवरत्न कंपनी बन जाएगी।

एसपीएमसीआईएल इस समय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में है और इसे भारत सरकार की अनुसूची ‘ए’ के तहत मिनीरत्न श्रेणी-1 कंपनी का दर्जा मिला हुआ है।

सरकार कुछ पूर्व-निर्धारित मानदंडों के आधार पर केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) को महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न का दर्जा देती है। इसमें लाभ का पिछला रिकॉर्ड और कुल संपत्ति जैसे वित्तीय मानक शामिल हैं।

वित्त मंत्री ने एसपीएमसीआईएल के कॉरपोरेट कार्यालय का उद्घाटन करते हुए उसके प्रदर्शन की सराहना की। सार्वजनिक उपक्रम मुद्रा नोटों की छपाई, प्रचलन के लिए सिक्कों की ढलाई और स्मारक सिक्के की ढलाई का काम करता है।

इस अवसर पर सीतारमण ने उम्मीद जताई कि एसपीएमसीआईएल अपने वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर नवरत्न का दर्जा भी हासिल करेगी।

सीतारमण ने कहा कि 2015 में अपनी पूंजी पुनर्गठन के बाद कंपनी ने 2016-17 तक ब्याज सहित अपना पूरा ऋण चुका दिया और मजबूत प्रतिफल देना जारी रखा। वित्त वर्ष 2023-24 में इसने 364 करोड़ रुपये का लाभांश दिया, जबकि पिछले साल इसने 534 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड लाभांश दिया था।

वित्त मंत्री ने कहा कि निगम ने सीमा शुल्क विभाग द्वारा जब्त किए गए सोने से लगभग 3.4 टन परिष्कृत सोना भारतीय रिजर्व बैंक को दिया। इसने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम और वैष्णो देवी तीर्थ बोर्ड जैसी संस्थाओं से प्राप्त चांदी और सोने को भी परिष्कृत किया।

उन्होंने कहा, ”मैं एसपीएमसीआईएल के स्मारक सिक्कों की लोकप्रियता से भी बहुत प्रभावित हूं जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, इतिहास और कला को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”

सीतारमण ने कहा कि स्वतंत्र भारत के दर्ज इतिहास में कुल 210 स्मारक सिक्के जारी किए गए हैं, जिनमें से 105 सिक्के पिछले दशक में जारी किए गए हैं।

इस अवसर पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि सरकार सीपीएसई को उनकी दक्षता और लाभप्रदता में सुधार करने के लिए सभी प्रकार का समर्थन देगी।

भाषा पाण्डेय प्रेम

प्रेम

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