पुणे, नौ जून (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) प्रमुख और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने सोमवार को कहा कि गन्ने की खेती में कृत्रिम मेधा (एआई) के इस्तेमाल से इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था बदल सकती है और किसानों का जीवन स्तर ऊंचा उठ सकता है।
उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाके और सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल की मौजूदगी में ‘गन्ने की खेती, चावल और बागवानी जैसे खेती के क्षेत्र में एआई के उपयोग’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह कहा।
इस तकनीक को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने के तरीकों का पता लगाने के लिए वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट और कृषि विकास ट्रस्ट के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस क्षेत्र में कमियों का जिक्र करते हुए पवार ने कहा कि चीनी मिलों को पर्याप्त गन्ना नहीं मिल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप पेराई सत्र केवल 100 दिन या उससे भी कम समय तक चलता है। इसके कारण फैक्ट्री मशीनरी का कम उपयोग होता है और वित्तीय लाभदायकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसका समाधान प्रति एकड़ गन्ने की उपज बढ़ाने में निहित है और इसे प्राप्त करने के लिए, एआई एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है। एआई का उपयोग करके गन्ने की उपज बढ़ाना और इस प्रकार अधिक चीनी और एथनॉल जैसे उप-उत्पादों का उत्पादन करना सही दृष्टिकोण है। एआई गन्ने के अर्थशास्त्र को बदल सकता है। यह किसानों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने और अच्छी आय उत्पन्न करने में मदद कर सकता है। इसलिए हमें इस तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू करना चाहिए।’’
पवार ने कहा कि एआई सभी फसलों के लिए उपयोगी होगा, लेकिन यह गन्ने के लिए एक पासा पलटने वाला साबित होगा।
उन्होंने कहा कि कृषि विकास ट्रस्ट ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की मदद से एक कार्यक्रम शुरू किया है।
पवार ने कहा, ‘‘हर चीनी मिल में कृषि अधिकारी होते हैं। मैंने लगातार शिकायत की है कि ये अधिकारी केवल गन्ना बोने की तिथि, कटाई के कार्यक्रम और परिवहन व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे इस बात पर ध्यान नहीं देते कि गन्ना कैसे उगता है, इसकी गुणवत्ता या चीनी प्राप्ति दर कैसे सुधारी जाए। मैं सभी सहकारी चीनी मिलों से अनुरोध करना चाहूंगा कि वे अपने कृषि विभागों को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाएं। जरूरत पड़ने पर वीएसआई आवश्यक प्रशिक्षण भी देगा।’’
भाषा राजेश राजेश रमण
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