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Tuesday, June 10, 2025

धामी ने उत्तराखंड की बोलियों, लोक कथाओं, साहित्य के संवर्धन, डिजिटलीकरण की आवश्यकता जताई

Newsधामी ने उत्तराखंड की बोलियों, लोक कथाओं, साहित्य के संवर्धन, डिजिटलीकरण की आवश्यकता जताई

(फाइल फोटो के साथ)

देहरादून, नौ जून (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को उत्तराखंड भाषा संस्थान को प्रदेश की बोलियों, लोक कथाओं, लोकगीतों एवं साहित्य के डिजिटलीकरण की दिशा में कार्य करने को कहा।

यहां संस्थान की साधारण सभा एवं प्रबन्ध कार्यकारिणी समिति बैठक के अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने स्थानीय बोलियों, लोक कथाओं और लोक गीतों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए कई उपाय सुझाए जिनमें प्रदेश में साहित्य महोत्सव का आयोजन करना तथा बोलियों का एक भाषाई मानचित्र बनाना भी शामिल है ।

उन्होंने लोक कथाओं पर आधारित संकलन बढ़ाने के साथ ही इन पर दृश्य-श्रव्य कहानी तैयार करने, स्कूलों में सप्ताह में एक बार स्थानीय बोली या भाषा पर भाषण, निबंध एवं अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन करने को भी कहा।

मुख्यमंत्री ने बोलियों, लोक कथाओं, लोकगीतों एवं साहित्य के डिजिटलीकरण की दिशा में कार्य करने को कहा। उन्होंने इसके लिए एक ई-लाईब्रेरी भी बनाने को कहा ।

उन्होंने प्रदेशवासियों से भेंट स्वरूप ‘बुके के बदले बुक’ के प्रचलन को बढ़ावा देने की अपील भी की ।

बैठक में उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान की राशि पांच लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख 51 हजार रुपये करने तथा पांच लाख रुपये की सम्मान राशि के साथ दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान देने का निर्णय लिया गया ।

हिन्दी के प्रति युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए युवा कलमकार प्रतियोगिता का आयोजन करने का भी फैसला किया गया जिसमें दो आयु वर्ग–18 से 24 और 25 से 35 के युवा रचनाकारों को शामिल किया जायेगा।

बैठक में लोक साहित्य उपलब्ध कराने के लिए बड़े प्रकाशकों का सहयोग लेने तथा संस्थान द्वारा लोक भाषाओं के प्रति बच्चों की रूचि बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे वीडियो तैयार कर स्थानीय बोलियों का बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करने पर भी सहमति बनी ।

यह भी निर्णय लिया गया कि जौनसार बावर क्षेत्र में पौराणिक काल से प्रचलित पंडवाणी गायन ‘बाकणा’ को संरक्षित करने के लिए इसका अभिलेखीकरण किया जायेगा। उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा प्रख्यात नाटककार गोविन्द बल्लभ पंत के समग्र साहित्य का संकलन, उत्तराखंड के साहित्यकारों का 50 से 100 वर्ष पूर्व भारत की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित साहित्य का संकलन और उत्तराखंड की उच्च हिमालयी एवं जनजातीय भाषाओं के संरक्षण एव अध्ययन के लिए शोध परियोजनों का संचालन किया जायेगा।

राज्य में प्रकृति के बीच साहित्य सृजन, साहित्यकारों के मध्य गोष्ठी, चर्चा-परिचर्चा के लिए दो साहित्य ग्राम बनाने का भी निर्णय लिया गया ।

भाषा दीप्ति राजकुमार

राजकुमार

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