जयपुर, नौ जून (भाषा) राजस्थान के रणथंभौर बाघ अभयारण्य में सोमवार को बाघ के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई।
अभयारण्य के जोगी महल इलाके में दो महीने से भी कम समय में यह तीसरी ऐसी मौत है जिसे यहां मनुष्यों को जंगली जानवरों के बीच बढ़ते संघर्ष के रूप में देखा जा रहा है।
पुलिस ने बताया कि राधेश्याम (60) रणथंभौर किले में स्थित जैन मंदिर में ‘देखभालकर्ता’ थे। पुलिस ने बताया कि वह सुबह-सुबह नित्य कर्म के लिए गए थे, तभी बाघ ने उन पर हमला कर दिया।
रणथंभौर बाघ अभयारण्य के एक अधिकारी ने बताया कि घटना सुबह लगभग 4.30 बजे हुई, पास में सो रहे दो गार्डों ने उसकी चीखें सुनी लेकिन वे कुछ नहीं कर पाए।
अधिकारी ने बताया, ‘‘राधेश्याम की गर्दन पर गहरे घाव थे। बाघ ने जांघों के आसपास और कई और जगह काटा था।’’
राधेश्याम शेरपुर गांव के रहने वाले थे और दो दशकों से मंदिर में काम कर रहे थे। वह किले के परिसर में ही रहते थे।
रणथंभौर बाघ अभयारण्य प्रशासन ने बाघ की पहचान के लिए इलाके में ‘कैमरा ट्रैप’ लगाए हैं। हमले में शामिल बाघ की पहचान के लिए घटनास्थल से बालों के नमूने एकत्र किए गए हैं और डीएनए जांच के लिए भेजे गए हैं।
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने सवाई माधोपुर-कुंडेरा मार्ग को जाम कर दिया और वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि वन अधिकारी ऐसी घटनाओं को रोकने में विफल रहे हैं, जिसके कारण लोगों में डर बढ़ रहा है।
ग्यारह मई को ड्यूटी पर तैनात वन रेंजर देवेंद्र चौधरी की बाघ के हमले में मौत हो गई थी जबकि 16 अप्रैल को त्रिनेत्र गणेश मंदिर के पास सात वर्षीय बालक को बाघ ने मार डाला था।
हमलों की बढ़ती संख्या का हवाला देते हुए विशेषज्ञों ने रणथंभौर बाघ अभयारण्य में जोन-3 गेट के निकट जोगी महल के आसपास बाघिन एवं उसके शावकों के लिए शिकार के रूप में जीवित पशु छोड़ने की प्रथा पर चिंता जताई है।
वन्यजीव विशेषज्ञ दिनेश वर्मा ने कहा, ‘‘बाघ के हमलों में तीन मौतें हुई हैं जो बहुत दुखद और चिंताजनक है। सभी घटनाएं जोगी महल के आसपास के क्षेत्र में हुई हैं, जहां बीमार बाघिन और उसके बच्चों को भोजन के रूप में जीवित शिकार दिए जाते हैं।’’
शिकार करने में असमर्थ मादा बाघ के लिए वाहनों में लाकर भोजन रखा जाता है जो उसके और उसके तीन शावकों के लिए होता है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वाहनों से बार-बार भोजन लाकर वहां रखे जाने के कारण शावकों में इंसानों के प्रति स्वाभाविक सतर्कता खत्म हो गई होगी।
वर्मा ने कहा,‘‘यह ठीक है कि बाघिन और उसके शावकों को भोजन मिल रहा है लेकिन इस तरीके से एक प्रतिकूल परिणाम यह सामने आया है कि शावक अब अपने आसपास मानव उपस्थिति के आदी हो गए हैं और यह हमलों की बढ़ती संख्या का एक कारण हो सकता है।’’
वर्मा ने कहा, ‘‘इस तरह के हमलों को रोकने का एकमात्र तरीका है कि उन्हें स्थानांतरित किया जाना चाहिए।’’
एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि कई बाघों उपस्थिति के कारण जोगी महल क्षेत्र में दबाव है और उन्हें दूर दूर भेजा जाना चाहिए।
रणथंभौर बाघ अभयारण्य में वयस्क और शावक दोनों सहित कुल 72 बाघ हैं।
कभी जयपुर के राजघराने की निजी संपत्ति रहा रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान दुनिया के सबसे प्रसिद्ध जंगली इलाकों में से एक है।
सवाई माधोपुर से 14 किलोमीटर दूर और भूगर्भीय रूप से सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला- अरावली और विंध्य – के संगम पर स्थित रणथंभौर जंगल में बाघों की अठखेलियां देखने का बेहतरीन अवसर देता है।
यहां बाघ सफारी प्रसिद्ध पर्यटन गतिविधि है जो अक्टूबर से जून तक चलती है।
भाषा पृथ्वी राजकुमार
राजकुमार