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Wednesday, June 11, 2025

ग्वालियर पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में पर्यावरण की पाठशाला, रंगरूट बना रहे हरियाली के सिपाही

Newsग्वालियर पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में पर्यावरण की पाठशाला, रंगरूट बना रहे हरियाली के सिपाही

भोपाल, 10 जून (भाषा) मध्यप्रदेश पुलिस ने लुप्त जैव विविधता को पुनर्जीवित करने के लिए ग्वालियर में अपने पुलिस प्रशिक्षण स्कूल में लगभग 172 एकड़ बंजर भूमि में एक अनूठी पहल की है।

इस स्कूल में हर साल सैकड़ों आरक्षक भर्ती किए जाते हैं अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

ग्वालियर के तिघरा क्षेत्र में स्थित पुलिस प्रशिक्षण स्कूल (पीटीएस) इसी नाम (तिघरा) के एक बांध से सटा हुआ है। यह बांध राज्य की राजधानी भोपाल से लगभग 430 किलोमीटर उत्तर में स्थित ग्वालियर के लिए पीने के पानी का प्राथमिक स्रोत है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इस स्थान पर किए गए कई वृक्षारोपण अभियान ‘विलायती कीकर’ (प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा) जैसे पौधों की आक्रामक प्रजातियों की उपस्थिति और क्षेत्र के चट्टानी भूभाग के कारण विफल हो गए हैं।

पौधों की ये आक्रामक प्रजातियां नए वातावरण में पारिस्थितिक को या आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाती हैं तथा अन्य पादपों को पनपने नहीं देती हैं।

उन्होंने कहा कि आसपास इतना बड़ा जलाशय (बांध) होने के बावजूद पीटीएस परिसर और इसके आसपास के इलाकों में बमुश्किल कोई पेड़-पौधा है और इसकी स्थलाकृति झुलसी हुई और बंजर दिखती है।

इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने की पहल पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) राजा बाबू सिंह की अध्यक्षता में मप्र पुलिस की प्रशिक्षण शाखा द्वारा शुरू की गई।

अधिकारी ने कहा कि उनके पास काम करने के लिए एक बड़ा क्षेत्र है क्योंकि 1960 में स्थापित पीटीएस के 172 एकड़ में से केवल 40 एकड़ पर ही इमारतें और प्रशिक्षण क्षेत्र जैसे अन्य बुनियादी ढांचे हैं।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे यहां लगभग 800 रंगरूट प्रशिक्षित हैं और वे सप्ताहांत में परियोजना पर काम करके क्षेत्र की जैव विविधता को फिर से बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। रंगरूटों को पीटीएस में नौ महीने तक प्रशिक्षित किया जाता है, जिसके बाद उन्हें आरक्षक के रूप में मप्र पुलिस में शामिल किया जाता है।

कायाकल्प योजना में कार्बन सोखने वाली घास और बांस की नालियों के अलावा लगभग 6,000 से 7,000 नाइट्रोजन फिक्सिंग और फल देने वाले पौधे लगाने की परिकल्पना की गई है।

अधिकारी ने कहा कि ये पौधे मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद करेंगे। कार्य योजना के अनुसार, प्रशिक्षु, पंक्तियों, बांधों और नहरों को बनाने तथा पीटीएस की लंबाई एवं चौड़ाई में ड्रिप सिंचाई प्रणाली स्थापित करने में भी मदद करेंगे।

एडीजी सिंह ने कहा कि पुलिस बल ने परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए पर्यावरणविदों और वानिकी के दिग्गजों सहित कई विशेषज्ञों को भी शामिल किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम विशेषज्ञों के अलावा सभी क्षेत्रों के लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वे तिघरा बांध और पीटीएस के आसपास खोई हुई स्थानीय जैव विविधता को फिर से बनाए रखने में हमारे साथ हाथ मिलाएं।’’

सिंह ने कहा, ‘‘इससे न केवल यह सुनिश्चित होगा कि सूखे के दौरान बांध का जल स्तर कम न हो, बल्कि इससे जलीय जानवरों को जीवित रहने और पनपने में भी मदद मिलेगी। हमें उम्मीद है कि यह अनूठी योजना ऐसी भविष्य की परियोजनाओं के लिए एक मॉडल बन जाएगी।’’

भाषा दिमो मनीषा सुरभि

सुरभि

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