कोलकाता, 10 जून (भाषा) जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर केंद्र पर तीखा हमला करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार देश के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में ‘विफल’ रही है और उससे इस्तीफा देने की मांग की।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का मुद्दा उठाते हुए बनर्जी ने दावा किया कि हालिया सैन्य संघर्ष के दौरान भारत के पास इस क्षेत्र को पुनः प्राप्त करने का ‘सुनहरा अवसर’ था, लेकिन वह निर्णायक कार्रवाई करने में विफल रहा।
उन्होंने पूछा, ‘हमारे पास पीओके पर नियंत्रण करने का अवसर था। इसके बजाय, पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवाद पर गठित समिति में शामिल होने की अनुमति दी गई। क्या हमारी विदेश नीति में कोई दोष है?’
मुख्यमंत्री ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सशस्त्र बलों की वीरता की सराहना करने वाला प्रस्ताव पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित किए जाने के दौरान सदस्यों को संबोधित कर रही थीं। हालांकि पेश किए गए प्रस्ताव में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शब्द का कहीं उल्लेख नहीं किया गया।
इस हमले को केंद्र सरकार की ‘पूर्ण विफलता और लापरवाही’ का परिणाम बताते हुए बनर्जी ने आतंकवादी हमले के स्थल पर सुरक्षा बलों की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया।
गत 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।
बनर्जी ने आंतरिक सुरक्षा में ‘भारी चूक’ के लिए केंद्र से जवाबदेही की मांग करते हुए पूछा, ‘आतंकवादी हमले के समय मौके पर कोई सुरक्षा बल या पुलिस कर्मी क्यों मौजूद नहीं था? एक भी आतंकवादी क्यों नहीं पकड़ा गया? उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में ऐसा हमला कैसे हुआ?’
बनर्जी ने कहा, ‘हम आतंकवाद का समर्थन नहीं करते; इसका कोई धर्म, जाति या पंथ नहीं होता।’ उन्होंने मांग की कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।
बनर्जी ने भारत की सैन्य कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा, ‘उन्हें (पाकिस्तान को) सबक सिखाने की जरूरत थी। हम अपने सशस्त्र बलों की बहादुरी को सलाम करते हैं।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए बनर्जी ने आरोप लगाया कि वह केवल अपने बारे में विज्ञापन देने में व्यस्त हैं।
उन्होंने भाजपा पर महिलाओं का अनादर करने का आरोप लगाया और सवाल किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम हमले के स्थल का दौरा क्यों नहीं किया।
पूछा, ‘आप बस सिंदूर का प्रचार करते फिरते हैं। हम सिंदूर का सम्मान करते हैं। आप महिलाओं का सम्मान नहीं करते। प्रधानमंत्री ने हमला स्थल का दौरा क्यों नहीं किया?’
मुख्यमंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री या रक्षा मंत्री ने स्वयं किसी देश का दौरा क्यों नहीं किया, बल्कि विपक्षी दलों के सांसदों से बने संसदीय प्रतिनिधिमंडल को वहां भेजा।
उन्होंने कहा, ‘आपको अपने मंत्री, अपने रक्षा मंत्री को भेजने की जरूरत थी। आपको खुद जाना चाहिए था। आपके जाने के बजाय, आपने विपक्षी दलों को भेजा, उन्होंने वह काम किया। इसलिए मैं उन्हें अपना काम शानदार ढंग से करने के लिए धन्यवाद देती हूं।’
हंगामे के बीच बनर्जी ने केंद्र पर अपना हमला जारी रखा और सुरक्षा खामियों, कूटनीतिक विफलताओं और हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी समिति के उपाध्यक्ष के रूप में पाकिस्तान की नियुक्ति पर सवाल उठाए।
उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को ‘एक अच्छा व्यक्ति, एक सक्षम नौकरशाह’ बताते हुए कहा, ‘पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी समिति का उपाध्यक्ष बन गया है। कैसे? क्या हमारे पास कूटनीतिक संबंधों की कमी थी?’
उन्होंने पाकिस्तान के संबंध में भारत की कूटनीतिक रणनीति पर भी चिंता व्यक्त की।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि हमारी कूटनीति में कोई समस्या है या नहीं, क्योंकि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरने के बजाय अभी भी आईएमएफ से ऋण मिल रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं प्रस्ताव का समर्थन करती हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यह (ऑपरेशन सिंदूर) एक मजबूत संदेश भेजने के लिए महत्वपूर्ण था। मैं उन लोगों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं जिन्होंने अपनी जान गंवाई। आतंकवाद को कभी माफ नहीं किया जा सकता।’
बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात से पाकिस्तानी जासूसों की गिरफ्तारी की खबरों का जिक्र किया।
उन्होंने पूछा, ‘मोदी-शाह के राज्य से सूचनाएं पाकिस्तान तक कैसे पहुंचीं?’
बनर्जी ने भाजपा पर चुनावों को ध्यान में रखते हुए सशस्त्र बलों की वीरता का राजनीतिकरण करने का भी आरोप लगाया।
भाषा
शुभम माधव
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