नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को झारखंड उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री से एक महिला न्यायिक अधिकारी की उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बाल देखभाल अवकाश (सीसीएल) देने से इनकार करने के विरुद्ध महिला अधिकारी के शीर्ष अदालत का रुख करने पर उसकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणियां की गईं।
शीर्ष अदालत ने अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित महिला अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) की मुख्य याचिका पर 29 मई को उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए थे। इस याचिका में महिला न्यायाधीश ने छह महीने की बाल देखभाल अवकाश देने के अनुरोध को अस्वीकार करने को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ को बुधवार को एक अंतरिम अर्जी (आईए) के माध्यम से नये घटनाक्रम के बारे में अवगत कराया गया।
आईए में आरोप लगाया गया कि छुट्टी का अनुरोध अस्वीकार करने के विरुद्ध शीर्ष अदालत का रुख करने पर याचिकाकर्ता की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में प्रतिकूल प्रविष्टियां की गईं।
एकल अभिभावक याचिकाकर्ता (न्यायाधीश) के वकील ने पीठ को सूचित किया कि 194 दिनों का अवकाश देने का अनुरोध किया गया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने केवल 92 दिनों का अवकाश मंजूर किया।
एसीआर प्रविष्टियों की प्रतिशोधात्मक प्रकृति की ओर इंगित करते हुए वकील ने कहा, ‘‘मैं एससी (अनुसूचित जाति) वर्ग से संबंधित हूं, मैं 4,660 मामलों का निपटारा करने के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों में से एक हूं… अब तक मेरा रिकॉर्ड उत्कृष्ट रहा है।’’
पीठ ने निर्देश दिया कि मुख्य याचिका और आईए, दोनों पर जवाब चार सप्ताह के भीतर दाखिल किए जाने चाहिए। नियम के मुताबिक ‘सीसीएल’ के रूप में एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजी) अपने सेवाकाल के दौरान 730 दिनों का अवकाश पाने की हकदार हैं।
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान मामले में महिला न्यायाधीश ने केवल छह महीने के अवकाश के लिए अनुरोध किया था।
भाषा संतोष सुरेश
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