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Thursday, August 21, 2025

आर्थिक, पर्यावरणीय और शैक्षणिक सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा: जर्मन राजदूत

Newsआर्थिक, पर्यावरणीय और शैक्षणिक सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा: जर्मन राजदूत

(तस्वीर के साथ)

रांची, 11 जून (भाषा) भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने बुधवार को कहा कि भारत-जर्मनी संबंध अब तक के सबसे बेहतर दौर में हैं और दोनों देश आर्थिक विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और शैक्षिक आदान-प्रदान सहित प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

एकरमैन रांची की अपनी पहली यात्रा पर आए थे। यहां उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की और बाद में झारखंड में कोयला खदानों को लेकर भारत-जर्मनी वार्ता में हिस्सा लिया। झारखंड में देश के लगभग 40 प्रतिशत खनिज मौजूद हैं।

जर्मन राजदूत ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘भारत-जर्मनी संबंध अब तक के सबसे बेहतर दौर में हैं। हम एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। हमारे बीच कई स्तरों (आर्थिक, पर्यावरणीय और शैक्षणिक) पर शानदार सहयोग है। अब भी सुधार की गुंजाइश है, लेकिन हम काफी आगे बढ़ चुके हैं।’’

उन्होंने कहा कि वर्तमान में 50,000 से अधिक भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए जर्मनी में हैं तथा यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है।

एकरमैन ने कहा, ‘‘शैक्षणिक स्तर पर हम इस समय बहुत करीब हैं। मैं साझेदारी से बहुत खुश, गौरवान्वित और सम्मानित महसूस कर रहा हूं।’’

उन्होंने कहा कि सतत हरित ऊर्जा, अर्थव्यवस्था, व्यापार और अन्य क्षेत्रों में संबंध और प्रगाढ़ होंगे।

जर्मन राजदूत ने झारखंड के मुख्यमंत्री से मुलाकात को सफल बताया। उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ हैं। झारखंड के समुदायों को इन संबंधों से लाभ मिलेगा।’’

एकरमैन ने कहा कि सोरेन जर्मनी की यात्रा करने के इच्छुक हैं, ताकि वहां के कोयला उद्योग के बारे में जान सकें।

राजदूत ने कहा कि हालांकि यह स्पष्ट है कि उनका देश (जर्मनी) भारत के लिए ‘मॉडल’ नहीं हो सकता, लेकिन वह कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के अपने इतिहास के साथ सीखे गए सबक साझा करने के लिए तैयार है।

उन्होंने रांची में संपन्न हरित एवं सतत विकास (जीएसडीपी) परिचर्चा श्रृंखला को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं बहुत खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि जर्मनी, हमारे अनुभव के साथ न्यायोचित परिवर्तन की इस बातचीत में भागीदार बन सकता है। कोयला कोई ऐसा साधन नहीं है, जिसका हम अंतहीन इस्तेमाल कर सकें। किसी न किसी स्तर पर यह समाप्त होगा ही।’’

इस उच्च स्तरीय परिचर्चा में झारखंड सरकार, जर्मन दूतावास, यूरोपीय संघ और डॉयचे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनल जुसामेनार्बेट (जीआईजेड) जीएमबीएच के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ नागरिक समाज के नेता और विकास कार्यकर्ता शामिल हुए।

इससे पहले, एकरमैन ने टाटा स्टील द्वारा संचालित एक कोयला खदान और एक स्थानीय महिला सहकारी समिति के परिसर का दौरा किया।

भाषा धीरज पारुल

पारुल

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