नयी दिल्ली, 12 जून (भाषा) मारुति सुजुकी इंडिया, दुर्लभ पृथ्वी चुंबक की कमी के मुद्दे के बीच अपने विनिर्माण परिचालन में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न समाधानों पर विचार कर रही है। कंपनी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।
देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता कंपनी ने कहा कि इस स्थिति के कारण काफी अनिश्चितता है, लेकिन अभी तक इसकी विनिर्माण गतिविधियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘‘ दुर्लभ पृथ्वी की स्थिति के संबंध में… इससे अभी तक हमारे परिचालन में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं हुआ है। बहुत अनिश्चितता है और स्थिति लगातार विकसित हो रही है। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं और अपने परिचालन में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए कई समाधान अपना रहे हैं।’’
मारुति सुजुकी इंडिया ने कहा कि यदि कंपनी के कारोबार पर कोई भौतिक प्रभाव पड़ता है, तो वाहन विनिर्माता कंपनी नियामक आवश्यकताओं के अनुरूप सभी हितधारकों को सूचित करेगी।
घरेलू मोटर वाहन उद्योग को इससे निपटने के लिए कदम उठाने होंगे क्योंकि चीन सरकार ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और संबंधित चुंबकों के निर्यात पर चार अप्रैल से प्रतिबंध लगा दिया है।
चीन ने सात दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और संबंधित चुंबकों के लिए विशेष निर्यात लाइसेंस अनिवार्य कर दिए हैं।
देश का वैश्विक स्तर पर चुंबकों की प्रसंस्करण क्षमता पर 90 प्रतिशत से अधिक नियंत्रण है, जिसका उपयोग मोटर वाहन, घरेलू उपकरणों और स्वच्छ ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।
अनुमोदनों पर कोई स्पष्टता न होने के कारण, भारतीय मोटर वाहन उद्योग को उत्पादन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में…।
घरेलू मोटर वाहन उद्योग ने भी दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों के आयात के लिए चीनी सरकार से शीघ्र मंजूरी दिलाने में सरकारी सहयोग मांगा है।
महत्वपूर्ण सामग्रियों में समारियम, गैडोलीनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम और ल्यूटेटियम शामिल हैं, जो इलेक्ट्रिक मोटर, ब्रेकिंग सिस्टम, स्मार्टफोन और मिसाइल प्रौद्योगिकी में आवश्यक हैं।
दुर्लभ मृदा चुंबक, अपने उच्च टॉर्क, ऊर्जा दक्षता और कॉम्पैक्ट आकार के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयुक्त स्थायी चुंबक तुल्यकालिक मोटर (पीएमएसएम) का अभिन्न अंग हैं।
आंतरिक दहन इंजन वाहनों में, दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों का उपयोग काफी हद तक इलेक्ट्रिक पावर ‘स्टीयरिंग’ और अन्य मोटर चालित प्रणालियों तक ही सीमित है।
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा