यरुशलम, 12 जून (एपी)इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार बृहस्पतिवार को अति-रूढ़िवादी गठबंधन सहयोगियों के समर्थन से बच गई क्योंकि संसद में उन्होंने युद्ध के दौरान सैन्य सेवा में पंजीकरण अनिवार्य बनाने संबंधी विपक्ष के विधेयक के खिलाफ अपना मत दिया।
यह मतदान नेतन्याहू सरकार के लिए सात अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद सबसे गंभीर चुनौती थी। हमास के हमले को इजराइल के इतिहास में सबसे बड़ी सुरक्षा विफलता माना जाता है और इसके बाद से गाजा में युद्ध जारी है।
विधेयक के संसद में गिर जाने का अभिप्राय है कि नेसेट (इजराइली संसद) को भंग करने के लिए कोई अन्य विधेयक कम से कम छह महीने तक प्रस्तुत नहीं किया जा सकेगा, जिससे नेतन्याहू के संकटग्रस्त गठबंधन को मजबूती मिलेगी।
अति-रूढ़िवादी दल इस बात से नाराज़ हैं कि सरकार उनके समुदाय को अनिवार्य सैन्य सेवा से छूट देने वाला कानून पारित करने में विफल रही है। इस मुद्दे ने लंबे समय से यहूदी इज़राइली जनता को विभाजित किया है, खासकर गाजा पट्टी में 20 महीने के युद्ध के दौरान।
इज़राइली विपक्ष को उम्मीद थी कि छूट को लेकर जनता का गुस्सा सरकार को गिराने में मदद करेगा; लेकिन इज़राइली संसद नेसेट के 18 अति-रूढ़िवादी सदस्यों में से सिर्फ़ दो ने ही संसद को भंग करने के विधेयक का समर्थन किया।
विदेश मामलों और रक्षा समिति के अध्यक्ष यूली एडेलस्टीन ने कहा कि वे और अति-रूढ़िवादी पार्टियां एक नए मसौदा कानून के आधार पर एक समझौते पर पहुंच गई हैं, जिस पर वे आगामी सप्ताह में चर्चा जारी रखेंगे। इसके बाद अधिकांश सदस्यों ने विधेयक के खिलाफ मतदान करने पर सहमति व्यक्त की।
इजराइल में अधिकांश यहूदियों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है, लेकिन राजनीतिक रूप से शक्तिशाली अति-रूढ़िवादियों को पारंपरिक रूप से इससे छूट प्राप्त है बशर्ते वे धार्मिक केंद्रों में पूर्णकालिक अध्ययन कर रहे हों। अति रूढ़िवादियों की इजराइली आबादी में करीब 13 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
एपी धीरज नरेश
नरेश