नयी दिल्ली, 12 जून (भाषा) महाराष्ट्र में आईएमएफएल व्हिस्की पर अ आबकारी शुल्क बढ़ाने और बीयर पर नहीं बढ़ाए जाने को सही ठहराते हुए बीयर कंपनियों के निकाय ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य में बीयर पर कर पहले से ही अन्य बाजारों की तुलना में बहुत अधिक है।
ब्रूअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) ने महाराष्ट्र में नई आबकारी कर व्यवस्था का स्वागत करते हुए कहा कि इससे राज्य सरकार को अधिक कर राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी।
बीएआई ने बयान में कहा कि 2018-19 में बीयर के लिए कर में बदलाव किया गया था, जबकि भारत में बनी विदेशी शराब (आईएमएफएल) के लिए यह बदलाव लंबे समय से लंबित था।
बीएआई देश की शीर्ष तीन बीयर कंपनियों का निकाय है। भारत में बीयर की बिक्री में इन कंपनियों की लगभग 85 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
बीएआई ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में बीयर पर कर पहले से ही बहुत अधिक हैं। पिछले करीब 10 वर्षों में बीयर पर आबकारी शुल्क में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि आईएमएफएल उत्पादों पर सिर्फ नौ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।’’
महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को भारत में निर्मित विदेशी शराब और देसी शराब पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का फैसला किया। इसके बाद देश में बनी विदेशी शराबो पर अब उत्पादन लागत का 4.5 गुना शुल्क लगेगा, जो वर्तमान दर से तीन गुना अधिक है।
हालांकि, राज्य सरकार ने बीयर पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का फैसला नहीं किया है, जिसकी कई शराब पेय कंपनियों ने आलोचना की है।
बीएआई के महानिदेशक विनोद गिरि ने इस पर कहा, ‘‘बीयर पर कर 2018-19 में बढ़ा दिया गया था जबकि आईएमएफएल एवं देसी शराब के लिए कर में बदलाव एक दशक से अधिक समय से लंबित थे। ऐसे में सरकार लंबे समय से लंबित कर सुधार को लागू करने के लिए मजबूर हुई है।’’
घरेलू उद्योग और आईएमएफएल विनिर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय शराब विनिर्माता कंपनियों के परिसंघ ने महाराष्ट्र सरकार के इस कदम पर अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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