नयी दिल्ली, 13 जून (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया से मुलाकात की और एक अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए केंद्रीय करों से राज्य के लिए अधिक आवंटन मांगा।
सिद्धरमैया ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ”बैठक बहुत सौहार्दपूर्ण रही और चेयरमैन हमारी मांगों के प्रति बहुत सकारात्मक थे। मैंने केंद्रीय करों से राज्य को अधिक आवंटन की मांग करते हुए एक अतिरिक्त ज्ञापन सौंपा है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि केंद्र का उपकर और अधिभार संग्रह पांच प्रतिशत से अधिक हो जाता है तो इसे विभाज्य पूल के अंतर्गत लाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ”केंद्र विभिन्न वस्तुओं पर उपकर और अधिभार लेता है। इसमें हमारा कोई हिस्सा नहीं है। इसे भारत सरकार रखती है। यदि वे पांच प्रतिशत से अधिक एकत्र करते हैं तो इसे विभाज्य पूल के अंतर्गत आना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि आयोग एक संवैधानिक निकाय है और उन्होंने चेयरमैन से अनुरोध किया कि वह किसी भी राज्य के साथ अन्याय न करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग (2021-26) के तहत केंद्रीय कर राजस्व में कर्नाटक का हिस्सा काफी कम होकर 3.64 प्रतिशत रह गया, जो 14वें वित्त आयोग की अवधि (2015-20) के दौरान 4.71 प्रतिशत था।
केंद्रीय करों से सभी राज्यों को आवंटित कुल हिस्सा 2021-26 के लिए घटाकर 41 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि इसके पहले यह 42 प्रतिशत था। ऐसा मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के चलते हुए। इसके कारण कर्नाटक के कर आवंटन में प्रतिशत और वास्तविक रूप में गिरावट आई।
वित्त आयोग को 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी सिफारिशें देनी हैं।
भाषा पाण्डेय रमण
रमण