नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) नए मसौदा प्रारूप में दिव्यांगजन (पीडब्ल्यूडी) के लिए परिवहन प्रणालियों को अधिक सुलभ बनाने को लेकर व्यापक बदलाव का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें बसों और मेट्रो ट्रेन में व्हीलचेयर के लिए अनिवार्य स्थान, स्टेशन पर सीढ़ी रहित शौचालय, समतल बोर्डिंग रैंप तथा हवाई, रेल और सड़क परिवहन नेटवर्क में प्रशिक्षित कर्मचारी शामिल हैं।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) ने परिवहन एवं गतिशीलता क्षेत्र के लिए सुगम्यता मानकों के मसौदे पर हितधारकों और आम जनता से टिप्पणियां और सुझाव आमंत्रित किए हैं।
‘ट्रांसपोर्ट एक्सेसिबिलिटी फ्रेमवर्क’ का मसौदा रणनीतिक एक्सेसिबिलिटी सेल- राइट्स ऑफ राइडर्स (एसएसी-आरआर) द्वारा तैयार किया गया है। यह बुकिंग और बोर्डिंग से लेकर बुनियादी ढांचे, वाहनों और आपातकालीन प्रतिक्रिया तक परिवहन श्रृंखला में विस्तृत, लागू करने योग्य मानकों को निर्धारित करता है।
अधिकांश उपायों को ‘गैर-समझौता योग्य’ के रूप में चिह्नित किया गया है, जिसका अर्थ है कि दिशानिर्देश प्रभावी होने के बाद वे बाध्यकारी होंगे।
विभाग ने कहा कि गैर-समझौता योग्य नियमों को चिह्नित करने वाले ये मसौदा मानक दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 और प्रासंगिक नियमों के अनुसार बाधा मुक्त वातावरण के निर्माण को मजबूत करने के लिए तैयार किए गए हैं।
मसौदे के अनुसार, केंद्रीय योजनाओं के तहत खरीदी जाने वाली सभी नयी बसों में लो-फ्लोर एंट्री, रैम्प, सुरक्षा बेल्ट और व्हीलचेयर के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र शामिल होना चाहिए।
मौजूदा सेवाएं जैसे कि पीएम ई-बस सेवा और टाइप टू आई इंटरसिटी बसों को भी परीक्षण किए गए लिफ्टों या ब्रिज रैंप के साथ फिर से तैयार किया जाएगा। दिव्यांगजन के लिए प्रत्येक बस में सीटबेल्ट के साथ कम से कम चार प्राथमिकता वाली सीटें आवश्यक हैं।
मसौदा खाके के अनुसार हवाई अड्डों पर, मसौदे में पार्किंग से चेक-इन तक सीढ़ी-मुक्त पहुंच, रोलआउट रैंप के साथ एयरोब्रिज, विमान में व्हीलचेयर के अनुकूल बैठने की व्यवस्था और गलियारे में कुर्सियों की उपलब्धता की बात कही गई है।
इस प्रारूप में समयबद्ध बजट और खरीद प्रावधान भी शामिल हैं और मोटर वाहन अधिनियम, शहरी बस विनिर्देशों और भवन संहिताओं जैसी राष्ट्रीय नीतियों को तत्काल अद्यतन करने का आग्रह किया गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वर्तमान में दिशानिर्देशों पर हितधारकों के साथ परामर्श जारी है, विचार-विमर्श के बाद अंतिम संस्करण सामने आने की उम्मीद है।
भाषा आशीष प्रशांत
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