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Sunday, June 15, 2025

“आतंकवाद के खिलाफ भारत की मुहिम को यूरोपीय देशों का समर्थन: रविशंकर प्रसाद”

Fast News"आतंकवाद के खिलाफ भारत की मुहिम को यूरोपीय देशों का समर्थन: रविशंकर प्रसाद"

पटना, 14 जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में उन्होंने जिन यूरोपीय देशों का दौरा किया, उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में भारत को पूरा समर्थन दिया।

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले प्रसाद ने कहा कि आतंकवाद एक कैंसर की तरह है, जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है।

उन्होंने पटना में संवाददाताओं से कहा, “हमारे प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद के खिलाफ किसी तरह की कोई नरमी नहीं बरतने के भारत के संदेश को पहुंचाने के लिए यूरोपीय देशों का दौरा किया। पूरी दुनिया ने एक स्वर में बात की और 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले की निंदा की, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई। पूरी दुनिया ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की।”

प्रतिनिधिमंडल ने जिन देशों का दौरा किया, उनमें ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, डेनमार्क और जर्मनी शामिल हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हमने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ के नेताओं से मुलाकात की और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है तथा हम इसकी निंदा करते हैं। हमने उन्हें यह भी बताया कि हम पाकिस्तान के नागरिकों के खिलाफ नहीं हैं लेकिन उनके साथ समस्या यह है कि सेना के जनरल देश चलाते हैं। ये जनरल अपने नापाक कार्यों को अंजाम देने के लिए आतंकवादियों का इस्तेमाल करते हैं।”

उन्होंने कहा, “ये पाकिस्तानी जनरल न तो जनता द्वारा चुने गए हैं और न ही वे अपने देश के लोगों के प्रति जवाबदेह हैं। हमने दुनिया को बताया कि चाहे वह लंदन मेट्रो हमला हो, 11 सितंबर का हमला हो या बेल्जियम, जर्मनी और फ्रांस में हमले हों, सभी के तार पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों से जुड़े हैं। अब, ऐसी विनाशकारी ताकतों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।’’

प्रसाद ने कहा कि जब प्रतिनिधिमंडल से पूछा गया कि भारत ने पाकिस्तान के अंदर हमले क्यों किए, तो उन्हें बताया गया कि अगर अमेरिकी सेना अफगानिस्तान के पहाड़ों में ओसामा बिन लादेन की तलाश में 12,000 किलोमीटर तक जा सकती है, तो ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बल’’ भी पहलगाम हमले को अंजाम देने वालों की तलाश में 400 किलोमीटर तक जा सकते हैं।

भाषा जितेंद्र नेत्रपाल

नेत्रपाल

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