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Wednesday, August 27, 2025

संविधान एक विकासशील दस्तावेज है जो बदलावों के अनुरूप खुद को ढाल रहा : प्रधान न्यायाधीश

Newsसंविधान एक विकासशील दस्तावेज है जो बदलावों के अनुरूप खुद को ढाल रहा : प्रधान न्यायाधीश

नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी. आर. गवई ने भारतीय संविधान को एक जीवंत और विकासशील दस्तावेज बताया, जो विभिन्न परिस्थितियों में अपेक्षित परिवर्तनों के अनुरूप ढल जाता है।

एडिनबर्ग लॉ स्कूल में शुक्रवार को ‘संविधान एक विकासशील दस्तावेज’ विषय पर अपने संबोधन में सीजेआई ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में बदलते दौर की चुनौतियों का सामना करने के लिए संविधान में कई संशोधन हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब भी उच्चतम न्यायालय द्वारा संविधान की व्याख्या के कारण कुछ मुद्दे उठे, संसद ने संविधान में संशोधन करके उनका समाधान किया, ताकि नयी पीढ़ी के बदलावों तथा परिस्थितियों में आए परिवर्तन की मांग के अनुरूप बदलाव किए जा सकें।’’

प्रधान न्यायाधीश ने पूर्व में संविधान को एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में वर्णित किया था, जो न केवल अधिकारों की गारंटी देता है, बल्कि ऐतिहासिक रूप से शोषित तबके का सक्रियता से उत्थान करता है।

मंगलवार को लंदन में ऑक्सफोर्ड यूनियन में ‘प्रतिनिधित्व से लेकर कार्यान्वयन तक: संविधान के वादे को मूर्त रूप देना’ विषय पर, भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन दूसरे दलित एवं पहले बौद्ध सीजेआई ने हाशिए पर मौजूद समुदायों पर संविधान के सकारात्मक प्रभाव को रेखांकित किया था।

भाषा सुभाष रंजन

रंजन

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