नयी दिल्ली, 15 जून (भाषा) मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में जन्मे चीता शावकों के लिए इस गर्मी के मौसम में सौर ऊर्जा संचालित जल प्रणाली जीवन रेखा बनकर उभरी है, जिससे उन्हें भीषण गर्मी और कठोर परिस्थितियों से बचने में मदद मिली है।
इस जून में उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में तापमान 40 डिग्री से पार चला गया, जिससे जल संसाधनों पर भारी दबाव पड़ा है।
मई 2023 में कुनो राष्ट्रीय उद्यान में अत्यधिक गर्मी के कारण नामीबियाई चीता ज्वाला से पैदा हुए तीन शावकों की मौत हो गई थी।
उस अनुभव से सीखते हुए, अधिकारियों ने कुनो नदी से पानी खींचने के लिए एक सौर-संचालित प्रणाली स्थापित की है, तथा पानी को 8.6 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन के माध्यम से केएनपी के अंदर 15 से अधिक स्थानों पर ‘स्प्रिंकलर’ (एक प्रकार का फव्वारा) और जल हौद तक पहुंचाया गया है।
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक और चीता परियोजना निदेशक उत्तम कुमार शर्मा ने ‘एक्स’ पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा, ‘‘कुनो नदी से पानी उठाना, उसे कई किलोमीटर दूर ले जाना, हरित क्षेत्र बनाने के लिए बड़े पैमाने पर ‘स्प्रिंकलर’ का उपयोग करना और योजनाबद्ध तरीके से विशेष रूप से मां और नवजात शावकों के लिए पानी की उपलब्धता में सुधार करना, काफी सफल साबित हुआ है।’’
दक्षिण अफ्रीकी चीता वीरा ने इस साल फरवरी में दो शावकों को जन्म दिया, जबकि एक अन्य दक्षिण अफ़्रीकी चीता निरवा ने अप्रैल में पांच शावकों को जन्म दिया।
अधिकारियों ने कहा कि निरवा के दो शावकों की मृत्यु हो गई, लेकिन बाकी शावक ठीक हैं।
अधिकारियों ने कहा कि शावकों को पहली बार ऐसी कठोर मौसमी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है और ऐसे में दोनों माताएं और उनके शावक नियमित रूप से ‘स्प्रिंकलर’ के आसपास आकर गर्मी से राहत पा रहे हैं, जो पहल की सफलता को दर्शाता है।
भाषा शफीक नरेश
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