नयी दिल्ली, 15 जून (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने यातायात उल्लंघन करने पर कई ट्रांसपोर्टर के वाहनों का चालान नहीं करने के एवज में उनसे कथित तौर पर रिश्वत लेने के मामले में एक सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) को जमानत दे दी।
शिकायतकर्ता के आरोपों से मुकर जाने का उल्लेख करते हुए विशेष न्यायाधीश अतुल कृष्ण अग्रवाल ने 12 जून को एएसआई विजय कुमार को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए बयान में शिकायतकर्ता अपने आरोपों से मुकर गया था।
न्यायाधीश ने कहा कि मामले में रिश्वत की रकम पहले ही बरामद की जा चुकी है और आरोपी से हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं लगती।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आरोपी की न्यायिक हिरासत की अवधि और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि जो भी बरामदगी हुई है वह पहले ही हो चुकी है और सह-आरोपी हेड कांस्टेबल सुरेंदर को संबंधित अदालत द्वारा पहले ही जमानत दे दी गई है… आरोपी विजय कुमार को जमानत दी जाती है।’’
यातायात पुलिस के साथ दो साल से सहायक के रूप में काम कर रहे दिलीप कुमार नामक व्यक्ति ने पिछले महीने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में उसने आरोप लगाया था कि अधिकारियों द्वारा विभिन्न ट्रांसपोर्टर और अन्य व्यक्तियों से भुगतान एकत्र करने के लिए उसका इस्तेमाल किया जा रहा था।
दिलीप ने दावा किया कि बाद में उसे पता चला कि यह पैसा रिश्वत था जो ट्रांसपोर्टर और अन्य लोगों को यातायात उल्लंघन के लिए दंडित नहीं करने के बदले में लिया गया था।
हालांकि, जमानत याचिका में दावा किया गया कि आरोपी ने शिकायतकर्ता को पैसे उधार दिए थे और जब उसने पैसे वापस मांगे तो दिलीप ने भुगतान करने से इनकार कर दिया और उसके खिलाफ वर्तमान ‘‘झूठा मामला’’ दायर कराया।
आरोपी ने खुद को निर्दोष बताते हुए अदालत से जमानत का आग्रह किया। उसने दावा किया कि उसके पास से कोई भी आपत्तिजनक चीज बरामद नहीं हुई।
भाषा सुरभि आशीष
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