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Tuesday, August 26, 2025

प्रियंका ने नीलांबुर में वाम पर साधा निशाना, कहा- मानव-पशु संघर्ष के बीच लोगों की जान जोखिम में

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मलप्पुरम (केरल), 15 जून (भाषा) कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने रविवार को राज्य की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार की आलोचना करने के लिए मानव-पशु संघर्ष की घटनाओं और कल्याणकारी पेंशन योजना के कथित राजनीतिकरण का इस्तेमाल किया।

वाद्रा नीलांबुर विधानसभा उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार के लिए वोट मांगने के वास्ते रविवार को आयोजित एक नुक्कड़ सभा को संबोधित कर रही थीं।

वायनाड से लोकसभा सदस्य वाद्रा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में मानव-पशु संघर्ष के कारण हुए जीवन और आजीविका के नुकसान का उल्लेख किया और कहा कि लोगों का जीवन और आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। नीलांबुर विधानसभा क्षेत्र भी इसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा है।

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के एक पूर्व बयान पर परोक्ष तौर पर प्रतिक्रिया देते हुए वाद्रा ने कहा कि पुराने कानूनों को दोष देने का कोई मतलब नहीं है। विजयन ने अपने बयान में कहा था कि मानव-पशु संघर्ष की बढ़ती घटनाओं से निपटने में एक बड़ी बाधा इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा लागू किए गए वन्यजीव कानून हैं।

वाद्रा ने एक रोडशो के बाद मूठेदम गांव में आयोजित एक सभा में कहा, ‘पुराने कानूनों को दोष देने या यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि यह किसी और की गलती है। जब कोई सरकार होती है, तो जीवन और आजीविका के लिए बुनियादी सुरक्षा प्रदान करना उस सरकार की जिम्मेदारी होती है।’’

मुख्यमंत्री विजयन ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि राज्य सरकार मानव-पशु संघर्ष की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए हर संभव कदम उठा रही है, लेकिन केंद्रीय कानून इस मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपटने में बड़ी बाधा बने हुए हैं।

मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि ये वन्यजीव कानून 1972 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए थे।’ विजयन परोक्ष तौर पर वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की ओर इशारा कर रहे थे, जिसे पूरे भारत में पेड़ और जानवरों के संरक्षण के लिए लागू किया गया था।

वाद्रा ने नुक्कड़ सभा से पहले मानव-पशु संघर्ष के एक पीड़ित के घर का दौरा किया। वाद्रा ने कहा कि जीवन की रक्षा के लिए ठोस उपाय ढूंढना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने हाल ही में हुई उस घटना का भी जिक्र किया जिसमें नीलांबुर विधानसभा क्षेत्र में जंगली सूअरों के लिए लगाये गए एक अवैध तार बाड़ से करंट लगने से एक किशोर की मौत हो गई थी।

कांग्रेस महासचिव वाद्रा ने 62 लाख से ज़्यादा लोगों को दी जाने वाली 1,600 रुपये की कल्याणकारी पेंशन का मुद्दा उठाते हुए वाम सरकार पर इसका राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इसे समय पर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे सरकार की सुविधानुसार वितरित नहीं किया जा सकता – जब यह उसके अनुकूल हो, चाहे चुनाव के दौरान या किसी अन्य समय। वाद्रा ने कहा, ‘लोग इस पेंशन पर निर्भर हैं।’

कल्याणकारी पेंशन पर वाद्रा का बयान ऐसे समय आया है जब राज्य में सत्तारूढ़ माकपा ने कल्याणकारी पेंशन को ‘रिश्वत’ बताने वाली कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल की टिप्पणी के खिलाफ नीलांबुर में जोरदार अभियान चलाया है। माकपा ने उन पर एक महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजना पर हमला करने का आरोप लगाया है। माकपा ने वेणुगोपाल द्वारा नीलांबुर उपचुनाव प्रचार अभियान के दौरान एक भाषण के दौरान की गई टिप्पणी को पेंशन लाभार्थियों का अपमान करार दिया है।

वेणुगोपाल ने बाद में स्पष्ट किया कि वाम सरकार की कल्याणकारी पेंशन वितरण योजना के बारे में उनकी टिप्पणी का उद्देश्य वितरण में देरी और बकाया राशि का चुनाव के करीब आने पर आंशिक भुगतान की प्रवृति को उजागर करना था।

नुक्कड़ सभा के दौरान वाद्रा ने केरल में आशा कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन का भी उल्लेख किया, जो बेहतर मानदेय सहित विभिन्न मांगें उठा रही हैं।

लोकसभा सदस्य वाद्रा ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका चौबीसों घंटे, सप्ताह के सातों दिन की नौकरी बन गई है और अब यह केवल स्वैच्छिक कार्य नहीं रह गया है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘तो, अगर वे अपने मानदेय में उचित वृद्धि और सेवानिवृत्ति राशि के रूप में 5 लाख रुपये की मांग कर रही हैं, तो इसमें गलत क्या है? क्या यह उनका अधिकार नहीं है?’’

कांग्रेस नेता ए. शौकत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) उम्मीदवार हैं, जबकि माकपा ने 19 जून को होने वाले उपचुनाव के लिए अपने राज्य सचिवालय सदस्य एम स्वराज को एलडीएफ उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा है। इस उपचुनाव को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले दोनों मोर्चों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

भाषा अमित नरेश

नरेश

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