मुंबई, 16 जून (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने यहां 13 साल पहले नववर्ष की पूर्व संध्या पर दिव्यांग बच्चों के आश्रय गृह में कथित तौर पर शराब और नर्तकियों के साथ आयोजित पार्टी पर सोमवार को आश्चर्य जताया और अधिकारियों के खिलाफ जांच का आदेश दिया।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की एक पीठ ने कहा कि इस ‘चौंकाने वाली’ घटना को 13 साल हो गए हैं, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई!
पीठ ने कहा कि उसे ये जानकर हैरानी है कि उस समय जांच तो की गई, लेकिन अधिकारियों या आश्रय गृह के अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पीठ ने दिव्यांग मामलों के आयुक्त को छह सप्ताह में जांच करने और ‘दोषी’ अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई और दंड के लिए राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
पीठ ने कहा कि एक अनुपालन रिपोर्ट तीन महीने में अदालत को सौंपनी होगी।
अदालत सामाजिक कार्यकर्ता संगीता पुणेकर द्वारा 2014 में दायर उस जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उपनगरीय मानखुर्द में राज्य द्वारा सहायता प्राप्त एक आश्रय गृह की दुर्दशा के बारे में चिंता जतायी गई थी, जिसमें उस समय 265 व्यक्ति थे और जिसे बाल सहायता सोसायटी द्वारा संचालित किया जाता था।
पीआईएल में दावा किया गया है कि 2014 में, आश्रय गृह के दो कर्मचारियों पर मानसिक रूप से दिव्यांग दो लड़कियों का यौन शोषण करने का आरोप लगा था।
याचिका के अनुसार, नये साल की पूर्व संध्या पर 31 दिसंबर, 2012 को आयोजित पार्टी में आश्रय गृह के अधिकारियों के साथ 26 मानसिक रूप से दिव्यांग लड़कियां मौजूद थीं, जब शराब परोसी गई थी और नर्तकियों पर पैसे बरसाए गए थे।
भाषा अमित नरेश
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