मुंबई, 16 जून (भाषा) मुंबई के परेल क्षेत्र में स्थित महानगर पालिका द्वारा संचालित केईएम अस्पताल ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय में कहा कि पिछले महीने भारी बारिश के बाद उसके गलियारों में भारी जलभराव होने के दावे भ्रामक हैं और वहां बारिश का बहुत थोड़ा पानी जमा हुआ था जो जल्द ही निकल भी गया।
शहर में भारी बारिश के बीच 26 मई को केईएम अस्पताल के अंदर जलभराव से संबंधित खबरों और वीडियो पर उच्च न्यायालय ने पिछले महीने गंभीर चिंता जताई थी। इसके बाद अदालत ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) को तुरंत अस्पताल का निरीक्षण करने और सुधारात्मक उपाय सुझाने के निर्देश दिए थे।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ के समक्ष पेश हलफनामे में अस्पताल ने कहा कि उसके किसी भी क्षेत्र में जलभराव नहीं है, लेकिन तेज हवाओं के साथ भारी बारिश के कारण खुले गलियारे में बारिश का थोड़ा पानी जमा हो गया था।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि अस्पताल में मरीजों का इलाज करवाने वाले हिस्से या उनके प्रतीक्षा क्षेत्र किसी भी तरह से जलमग्न नहीं थे।
केईएम अस्पताल की डीन संगीता रावत द्वारा प्रस्तुत हलफनामे में कहा गया है कि अस्पताल में मरीजों के घुटने तक गहरे पानी में बैठे होने की खबरें न केवल ‘पूरी तरह से भ्रामक’ हैं, बल्कि घटनास्थल की स्थिति के भी विपरीत हैं।
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘वार्ड, रेडियोलॉजी विभाग, एमआरआई और एक्स-रे कक्ष जैसे महत्वपूर्ण रोगी देखभाल क्षेत्र पूरी तरह से अप्रभावित रहे और बगैर किसी व्यवधान के अस्पताल में कामकाज हुआ। भारी बारिश के कारण 26 मई को जब अस्पताल का एक गलियारा जलमग्न हो गया था उस समय 19 मरीजों के एमआरआई, 120 के सीटी-स्कैन और 270 मरीजों के एक्स-रे किए गए थे।’’
महानगर पालिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने 30 मई को जलभराव के कारण का आकलन करने तथा भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए उपयुक्त उपचारात्मक उपाय सुझाने के लिए अस्पताल का निरीक्षण किया था।
पीठ ने सोमवार को यह जानना चाहा कि अल्पकालिक उपचारात्मक उपाय कब तक लागू किए जाएंगे। इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद तय की।
भाषा यासिर मनीषा
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