नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) भारत को वाहनों में इस्तेमाल होने वाले दुर्लभ खनिज चुंबक पर लगाए चीन के प्रतिबंध के बीच उसके साथ संवाद से कोई सकारात्मक परिणाम निकलने की उम्मीद है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही।
चीन ने दुर्लभ खनिज और संबंधित चुंबकों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे घरेलू वाहन एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं।
वाहन उद्योग ने यात्री कारों सहित विभिन्न उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले दुर्लभ खनिज चुंबकों के आयात के लिए चीन से मंजूरी को लेकर सरकार से समर्थन मांगा है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि चीन के प्रतिबंध सभी देशों के खिलाफ लगे हैं और केवल भारत के ही खिलाफ नहीं लगे हैं।
हालांकि उन्होंने कहा कि वाहन क्षेत्र पर इसके अधिक असर को देखते हुए सरकार वाहन विनिर्माताओं के निकाय सियाम और वाहन कलपुर्जा विनिर्माता निकाय एक्मा दोनों के साथ बातचीत कर रही है।
बर्थवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हम उन्हें चीन में अपने समकक्ष निकायों के साथ चर्चा करने में मदद कर रहे हैं और कूटनीतिक स्तर पर विदेश मंत्रालय एवं वाणिज्य विभाग ने भी वहां के राजदूत से बात की है।’
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चीन के साथ कूटनीतिक और वाणिज्यिक दोनों तरह की चर्चा चल रही है।
बर्थवाल ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं कि आयात की ये आवश्यक वस्तुएं भारत आ सकें। मुझे लगता है कि इस कूटनीतिक और वाणिज्यिक संवाद का सकारात्मक परिणाम निकलना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि चीन ने एक ऐसी व्यवस्था लाई है, जिसमें ‘शायद लाइसेंस की जरूरत होगी, इसलिए हम अपने आयातकों और अपनी वाहन कंपनियों को हर संभव तरीके से सुविधा प्रदान कर रहे हैं।’
उद्योग सूत्रों के मुताबिक, विभिन्न घरेलू आपूर्तिकर्ताओं ने पहले ही चीन में अपने स्थानीय विक्रेताओं के माध्यम से चीनी सरकार से आयात की मंजूरी मांगी है।
चीन का चुंबकों के लिए वैश्विक प्रसंस्करण क्षमता के 90 प्रतिशत से अधिक पर नियंत्रण है। इन दुर्लभ खनिज चुंबकों का इस्तेमाल वाहन, घरेलू उपकरणों और स्वच्छ ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों में किया जाता है।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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