नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक व्यक्ति को ‘डंकी रूट’ या अवैध तरीके से अमेरिका भेजने का वादा कर उसके साथ कथित तौर पर धोखाधड़ी करने के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से सोमवार को इनकार कर दिया और कहा कि ऐसे लोग भारतीय पासपोर्ट की छवि खराब करते हैं।
न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा, ‘‘आप जैसे लोगों के कारण भारतीय पासपोर्ट का मान घटता है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि कुछ लोगों के ऐसे कृत्यों से भारतीय पासपोर्ट की प्रतिष्ठा खराब हुई है।
‘डंकी रूट’ का इस्तेमाल आमतौर पर अमेरिका या ब्रिटेन जैसे देशों में प्रवेश करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में मानव तस्करों का उपयोग करना और कानूनी आव्रजन प्रक्रियाओं को दरकिनार करने के लिए विभिन्न देशों से होकर गुजरना शामिल है, जहां अक्सर कठोर और खतरनाक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
मामले के तथ्यों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि आरोपी ने न केवल व्यक्ति को धोखा दिया, बल्कि उसे अमानवीय परिस्थितियों में अमेरिका की सीमा से लगे कई देशों की यात्रा भी कराई, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कर जाए।
पीठ ने आरोपों को ‘‘बहुत गंभीर’’ करार दिया और हरियाणा के रहने वाले ओम प्रकाश की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
यह याचिका पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें उसे मामले में राहत देने से इनकार कर दिया गया था।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि प्रकाश मुख्य आरोपी का सहयोगी था, जो एक एजेंट के रूप में काम कर रहा था और उसने शिकायतकर्ता को आश्वासन दिया था कि वह 43 लाख रुपये का भुगतान करने पर उसे वैध माध्यम से अमेरिका भेज देगा।
मुख्य आरोपी ने शिकायतकर्ता को सितंबर 2024 में दुबई भेजा, और वहां से विभिन्न देशों, फिर पनामा के जंगलों और फिर मैक्सिको भेजा।
एक फरवरी, 2025 को मुख्य आरोपी के एजेंट ने उसे अमेरिकी सीमा पार करवा दिया। शिकायतकर्ता को अमेरिकी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जेल में डाल दिया और 16 फरवरी, 2025 को भारत भेज दिया।
उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता के पिता ने गवाही दी कि याचिकाकर्ता ने उनसे 22 लाख रुपये की ठगी की है।
भाषा आशीष माधव
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