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Monday, August 11, 2025

पुणे पुल हादसा: सपकाल की अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की मांग

Newsपुणे पुल हादसा: सपकाल की अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की मांग

मुंबई, 16 जून (भाषा) महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने पुणे जिले में एक दिन पहले पुल ढहने की घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए सोमवार को सवाल किया कि अगर पुल असुरक्षित था तो उसे जनता के लिए क्यों खुला रखा गया था।

मावल तहसील के कुंदमाल क्षेत्र में इंद्रायणी नदी पर बना 32 साल पुराना लोहे का पुल रविवार अपराह्न में ढह जाने से चार लोगों की मौत हो गई थी और 18 अन्य घायल हो गए थे।

सपकाल ने कहा, ‘‘भाजपा गठबंधन सरकार दुर्घटना के बाद ही क्यों जागती है? खतरनाक पुल को क्यों खुला रखा गया था, जबकि यह ज्ञात था कि मानसून के दौरान सैकड़ों पर्यटक कुंदमाल आते हैं। राज्य सरकार को जिम्मेदारी तय करनी चाहिए और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करना चाहिए।’’

सपकाल ने सवाल किया कि सरकार अब कह रही है कि नये पुल के लिए धनराशि एक साल पहले मंजूर की गई थी, लेकिन फिर इस अवधि में इसका निर्माण क्यों नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रशासन कह रहा है कि उस पुल पर बोर्ड लगा था। लेकिन प्रशासन के ढीले रवैये के कारण 55 लोग बह गए। उनमें से कई को बचा लिया गया, लेकिन चार लोगों की मौत हो गई और छह गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपये मुआवजा देने का मतलब यह नहीं है कि सरकार की जिम्मेदारी खत्म हो गई।’’

सपकाल ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सभी खतरनाक पुलों का संरचनात्मक समीक्षा कराने के निर्देश को भी एक दिखावा बताया। उन्होंने कहा, ‘दुर्घटनाएं होती हैं, लोग मरते हैं और सरकार उन पर कुछ पैसे फेंक कर भूल जाती है। यह दुष्चक्र खत्म होना चाहिए।’’

शिवसेना (उबाठा) के संजय राउत ने कहा कि यह घटना प्रशासन की अनदेखी और उदासीनता का नतीजा है।

उन्होंने इस मामले में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की भी आलोचना की, जो कई वर्षों से जिले के प्रभारी मंत्री हैं।

उन्होंने कहा, ‘पुणे का प्रभारी मंत्री होना उनका गौरव और अहंकार है। उन्हें लगता है कि वे पुणे का पर्याय हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित क्यों नहीं किया कि पिछले साल पुल की मरम्मत के लिए स्वीकृत राशि का उपयोग किया जाए? मेरे पास मौजूद जानकारी के अनुसार, 15 करोड़ रुपये मांगे गए थे और 8 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। उस पैसे का क्या हुआ?’

अधिकारियों के अनुसार, पर्यटकों की भीड़भाड़ के कारण लोहे का पुल ढह गया। अधिकारियों के अनुसार लोगों ने वहां लगे एक चेतावनी बोर्ड की अनदेखी की, जिसमें इसे असुरक्षित बताया गया था।

भाषा अमित माधव

माधव

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