नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) भारत की तरफ से अब तक किए गए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत जारी मूलस्थान संबंधी प्रमाणपत्रों की संख्या 2023-24 के 6,84,724 से खासी बढ़कर 2024-25 में 7,20,996 हो गई। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह पता चला।
एफटीए के तहत उत्पादों के मूलस्थान संबंधी प्रमाणपत्रों की संख्या में बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि भारतीय निर्यातक अब व्यापार समझौतों के तहत हासिल सुविधाओं का अधिक उपयोग कर रहे हैं।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इन आंकड़ों पर कहा कि तरजीही मार्ग के तहत भारत का व्यापार बढ़ रहा है।
मुक्त व्यापार समझौते के तहत दो देश अपने बीच व्यापार किए जाने वाले अधिकतम वस्तुओं पर आयात शुल्क को या तो काफी कम कर देते हैं या पूरी तरह हटा देते हैं।
भारत ने अब तक जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के साथ ऐसे समझौते किए हैं।
मूलस्थान प्रमाण पत्र उन देशों को निर्यात के लिए एक जरूरी दस्तावेज है जिनके साथ भारत के व्यापार समझौते हैं। निर्यातक को आयात करने वाले देश के बंदरगाह पर यह प्रमाण पत्र जमा करना होता है।
मुक्त व्यापार समझौतों के तहत शुल्क रियायतों का दावा करने के लिए यह दस्तावेज महत्वपूर्ण है। यह प्रमाणपत्र यह साबित करने के लिए जरूरी है कि माल कहां से आया है।
बर्थवाल ने कहा, ‘अगर कोई निर्यातक यह प्रमाणपत्र ले रहा है तो इसका मतलब है कि वह एफटीए के तहत उपलब्ध तरजीही शुल्क का उपयोग कर रहा है।’
इन समझौतों के तहत शुल्क रियायतों का लाभ उठाने से भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धी क्षमता में सुधार होता है।
आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-मई के दौरान 1,32,116 प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में ऐसे 1,20,598 प्रमाणपत्र जारी किए गए थे।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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