नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) दिल्ली सरकार की व्यापक सड़क धूल प्रदूषण शमन परियोजना पर 10 वर्षों की अवधि में 2,388 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है। मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव में यह जानकारी दी गई है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में पिछले महीने आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में ‘प्रदूषण नियंत्रण और आपातकालीन उपाय’ परियोजना को मंजूरी दी गई थी, जिसके तहत ‘एंटी-स्मॉग गन’ के साथ 250 ’वाटर स्प्रिंकलर’ मशीन किराए पर ली जाएंगी, जिसकी अनुमानित लागत 1,158 करोड़ रुपये है।
इसके अलावा, सात वर्षों की अवधि के लिए 1,230 करोड़ रुपये की लागत से 210 ‘वाटर स्प्रिंकलर’, ‘वाटर टैंकर’ और ‘एंटी-स्मॉग गन’ सुसज्जित 70 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) मशीन किराए पर ली जाएंगी।
इनमें से एक एमआरएस मशीन का शुभारंभ मुख्यमंत्री ने पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ किया।
अधिकारियों ने बताया कि मानसून के मौसम को छोड़कर पूरे वर्ष अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत सड़कों पर यांत्रिक रूप से सफाई और पानी के छिड़काव की सुविधा प्रदान करने वाला लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) इस परियोजना का क्रियान्वयन करेगा।
बैठक के विवरण में कहा गया है, ‘‘यह परियोजना केवल सड़क पर जमी धूल को साफ करने के लिए है, इसमें फुटपाथ की सफाई और सड़क के मध्य डिवाइडर में हरा-भरा करना शामिल नहीं है। इस परियोजना के तहत मशीनों का उपयोग दिल्ली में शहर की परिवेशी वायु गुणवत्ता में समग्र सुधार के लिए आवश्यकतानुसार किया जा सकता है।’’
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर द्वारा 2016 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, हवा में पीएम-10 की मात्रा को कम करने में मैकेनिकल स्वीपिंग की दक्षता 55 प्रतिशत प्रभावी बताई गई है और अगर वैक्यूम-सहायता प्राप्त स्वीपिंग की जाए तो यह 90 प्रतिशत तक प्रभावी हो जाती है।
अधिकारियों ने बताया कि पर्यावरण विभाग ने पिछले साल भी मुख्य सड़कों पर धूल नियंत्रण का काम पीडब्ल्यूडी को सौंपने के लिए इसी तरह की योजना प्रस्तावित की थी।
उन्होंने बताया कि हालांकि, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और कहा कि इस परियोजना को क्रियान्वित वह करेगा, क्योंकि सफाई का कार्य उसी की जिम्मेदारी है।
अधिकारियों ने बताया कि परियोजना एमसीडी को हस्तांतरित कर दी गई है और फिलहाल इस पर कोई धनराशि खर्च नहीं की गई।
अनुमोदित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘अतः मुख्यमंत्री और पर्यावरण मंत्री की मंजूरी से यह निर्णय लिया गया है कि परियोजना में काफी देरी हुई है और परियोजना के महत्व को देखते हुए विभाग को पीडब्ल्यूडी द्वारा कार्य निष्पादित करवाने के लिए मंत्रिमंडल प्रस्ताव पत्र को संशोधित करने का निर्देश दिया गया है।’’
योजना के अनुसार, परियोजना को कुशलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए पूरा बेड़ा प्रतिदिन आठ घंटे की तीन पाली में काम करेगा और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) लोक निर्माण विभाग को जल छिड़काव तथा एंटी-स्मॉग गन संचालित करने के लिए प्रतिदिन 15 हजार किलोलीटर उपचारित जल निःशुल्क उपलब्ध कराएगा।
भाषा यासिर रंजन
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